Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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तृतीय प्रतिपत्ति - मनुष्य उद्देशक - दस वृक्षों का वर्णन - गेहाकारा नामक वृक्ष
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९. गेहाकारा नामक वृक्ष एगूरुयद्रीवेणं दीवे तत्थ तत्थ बहवे गेहागारा णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो! जहा से पागारट्टालग चरियदार गोपुरपासायागासतलमंडवएग सालग बिसालग तिसालग चउरंस चउसाल गब्भघरमोहणघरवलभिघर चित्तसाल मालय भत्तिघर वट्ट तंस चउरंस णंदियावत्त संठियायय पंडुरतल मुंडमालहम्मियं अहव णं धवलहर अद्धमागह विब्भमसेलद्ध सेल संठिय कूडागारड्ड सुविहि कोट्ठग अणेगघरसरणलेण आवणविडंगजाल चंदणिज्जूह अपवरकदोवालि चंदसालियरूव विभत्तिकलिया भवणविही बहुविगप्पा तहेव ते गेहागारा वि दुमगणा अणेगबहु विविह वीससा परिणयाए सुहारुहणे सुहोत्ताराए सुहणिक्खमणप्पवेसाए ददरसोपाणपंतिकलियाए पइरिक्काए सुहविहाराए मणोऽणकूलाए भवणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव चिटुंति ९॥ - कठिन शब्दार्थ - गेहागारा - गेहाकारा-मकान के आकार में परिणत हो जाने वाले अर्थात् मकान की तरह आश्रय देने वाले, पागारट्टालक - प्राकाराट्टालक-प्राकार (परकोटा) अट्टालक (अटारी) चरिय - चरिका-प्राकार और शहर के बीच आठ हाथ प्रमाण मार्ग, दार - द्वार, गोपुर - गोपुर (प्रधान द्वार), पासायागासतल - प्रासादाकाश तल-प्रासाद (राजमहल) आकाश तल (अगासी), मंडव - मंडप, एगसालग- एक शालक-एक खंड वाले, बिसालग - द्विशालक-दो खण्ड वाले तिसालगत्रिशालक-तीन खण्ड वाले, चउरंसचउसाल - चतुरस्त्र चतुःशाल-चौकोने, चार खण्ड वाले, गब्भघर - गर्भगृह (भौंहरा); मोहणघर - मोहनगृह (शयनकक्ष), बलभिघर - वलभीगृह (छज्जेवाला घर), चित्तसाल मालय - चित्रशालमालकं-अनेक प्रकार के चित्रों से सुसज्जित प्रकोष्ठगृह, भत्तिघर - भोजनालय, दियावत्त - नंदिकावर्त्त-स्वस्तिक के आकार का गृह, पंडुरतलमुंडमाल - पाण्डुरतल मुण्डमाल-छत रहित शुभ्र आंगन वाला गृह, हम्मियं - हर्म्य-शिखर रहित हवेली, धवलहर अद्धमागह विभय सेलद्ध सेल संठिय - धवलगृहार्द्ध मागध विभ्रम शैलार्द्ध शैल संस्थित-धवलगृह, अर्द्धगृह, मागधगृह, विभ्रमगृह, शैलार्द्धगृह, शैलसंस्थितगृह (पर्वत के जैसे आकार का घर), कूडागारड्ड सुविहि कोट्ठग - कूटाकार-सुविधिकोष्टक-पर्वत के शिखर के आकार का गृह, अच्छी तरह से बनाए हुए कोठों वाला गृह, सरणलेण आवण - शरणगृह, शयनगृह, आपणगृह (दूकान) विडंगजाल - विडंग (छज्जेवाले गृह) जाल (जाली वाले घर), चंदणिज्जूह अपवरक दोवालि- चन्द्रनिर्ग्रह-दरवाजे के आगे निकला हुआ काष्ठ भाग कमरों और द्वार वाले गृह, चंदसालिय - चन्द्रशालिका-शिरोगृह (छत के
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