Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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__ जीवाजीवाभिगम सूत्र
बेइन्द्रिय जीव अनेक प्रकार के कहे गये हैं। इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में कहा गया है वैसा ही यावत् सर्वार्थसिद्ध देवों तक कह देना चाहिये। यह अनुत्तरौपपातिक देवों का कथन हुआ। यह देवों का कथन हुआ। यह पंचेन्द्रियों का कथन हुआ। इसके साथ ही त्रसकायिक का वर्णन पूर्ण हुआ।
विवेचन - प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद के अनुसार त्रस जीवों के भेदों का संपूर्ण वर्णन यहां भी समझना चाहिये।
__ पृथ्वीकायिकों का वर्णन कइविहा णं भंते! पुढवी पण्णता?
गोयमा! छव्विहा पुढवी पण्णत्ता, तं जहा - सण्हा पुढवी सुद्ध पुढवी वालुया पुढवी मणोसिला पुढवी सक्करा पुढवी खरपुढवी। .
सण्हा पुढवी णं भंते! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा! जहण्णेणं अंतोमहत्तं उक्कोसेणं एगं वाससहस्सं। सुद्ध पुढवीए पुच्छा, गोयमा! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बारस वाससहस्साइं।
वालुया पुढवीए पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं चोहसवाससहस्साई।
मणोसिला पुढवीए पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं सोलसवाससहस्साइं।
सक्करा पुढवीए पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अट्ठारसवाससहस्साई।
खर पुढवीए पुच्छा, गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसवाससहस्साइं।
भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन्! पृथ्वी कितने प्रकार की कही गई है? ।
उत्तर - हे गौतम! पृथ्वी छह प्रकार की कही गई हैं। वे इस प्रकार हैं - १. श्लक्ष्ण (मृदु) पृथ्वी २. शुद्ध पृथ्वी ३. बालुका पृथ्वी ४. मनःशिला पृथ्वी ५. शर्करा पृथ्वी और ६. खर पृथ्वी।
प्रश्न- हे भगवन् ! श्लक्ष्ण पृथ्वी की स्थिति कितने काल की कही गई है? उत्तर - हे गौतम! श्लक्ष्ण पृथ्वी की स्थिति जघन्य अंतर्मुहूर्त और उत्कृष्ट एक हजार वर्ष की है। प्रश्न - हे भगवन् ! शुद्ध पृथ्वी की पृच्छा?
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