Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
साथ सजा कर सब ओर रखी जाने से जिसका सौन्दर्य बढ़ गया है, अलग अलग रूप से दूर दूर लटकती हुई पांच वर्णों (रंगों) वाली फूलमालाओं से जो सजाया गया हो तथा अग्र भाग में लटकाई गई वनमाला से जो दीप्तिमान हो रहा हो ऐसे प्रेक्षागृह के समान वे चित्रांगा वृक्ष हैं जो अनेक-बहुत
और विविध प्रकार के विस्रसा परिणाम से माल्यविधि (मालाओं) से युक्त हैं। वे कुश-विकुश से रहित मूल वाले यावत् शोभा से अतीव अतीव शोभायमान हैं।
७. चित्ररसा नामक वृक्ष ___एगूरूयदीवेणं दीवे तत्थ तत्थ बहवे चित्तरसा णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो! जहा से सुगंधवरकलमसालि विसिट्ठ णिरुवहयदुद्धरद्धे सारयघयगुडखंडमहुमेलिए अइरसे परमण्णे होज्ज उत्तमवण्णगंधमंते रण्णो जहा वा चक्कवट्टिस्स होज्ज णिउणेहिं सूयपुरिसेहिं सज्जिएहिं वाउकप्पेसेयसित्ते इव ओयणे कलमसालिणिज्जत्तिए विप(ए)क्के सव्वष्फमिउविसयसगलसित्थे अणेग सालणगसंजुत्ते अहवा पडिपुण्ण दव्वुवक्खडेसुसक्कए वण्णगंधरसफरिस जुत्तबलवीरियपरिणामे इंदियबलपुट्टिवद्धणे खुप्पिवासमहणे पहाण गुलकटिय खंडमच्छंडिय उवणीए पमोयगे सहसमियगम्भे हवेज्ज परमइटुंगसंजुत्ते तहेव ते चित्तरसा वि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससा परिणयाए । भोयणविहीए उववेया कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव चिटुंति॥७॥
कठिन शब्दार्थ - चित्तरसा - चित्ररसा-विविध प्रकार के भोजन देने वाले, सुगंधवरकलमसालिविसिट्ठ णिरुवहयदुद्धरद्धे - सुगंधवरकलम शालि विशिष्ट, निरुपहतदुग्धराद्धम्सुगंधित श्रेष्ठ कलम जाति के चावल और विशेष प्रकार की गाय से निसृत दोष रहित शुद्ध दूध से पकाया हुआ, सारयघयगुडखंडमहुमेलिए - शरद् ऋतु के घी, गुड़, शक्कर और मधु से मिश्रित, अइरसे - अति स्वादिष्ट, परमण्णे - परमान्न-कल्याण भोजन-खीर, सूयपुरिसेहिं - सूपकारों (रसोइयों) द्वारा, सजिएहिं - सज्जित:-निष्पादित, सव्वप्फमिउविसयसगलसित्ये - सवाष्पमृदुविशदसकलसिक्थजिसका एक एक दाना वाष्प से सीझ कर मृदु हो गया है, अणेगसालणगसंजुत्ते - अनेकशालनकसंयुक्तअनेक प्रकार के मेवों-द्राक्ष पुष्प फल से युक्त, पडिपुण्णदव्वुवक्खडेसुसक्कए - परिपूर्ण द्रव्योपस्कृतः सुसंस्कृत-इलाइची आदि भरपूर सुगंधित द्रव्यों से सुसंस्कारित, इंदियबलपुद्धिवद्धणे - इन्द्रिय बलपुष्टिवर्धनः-इन्द्रियों की शक्ति बल को बढ़ाने वाला, खुप्पिवासमहणे- क्षुत् पिपासामथन:-भूख प्यास को शांत करने वाला, पहाणगुलकटियखंडमच्छंडिय उवणीए - प्रधान क्वथितगुडखण्ड मत्स्यण्डीघृतोपनीत:-प्रधान रूप से चासनी रूप बनाये हुए गुड शक्कर या मिश्री से युक्त एवं गर्म घी
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