Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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ततीय प्रतिपत्ति- द्वितीय तिर्यंचयोनिक उद्देशक - त्रसकायिक जीव
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भावार्थ - पृथ्वीकायिक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं ? पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - सूक्ष्म पृथ्वीकायिक और बादर पृथ्वीकायिक। सूक्ष्म पृथ्वीकायिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
सूक्ष्म पृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गये हैं - पर्याप्तक और अपर्याप्तक। यह सूक्ष्म पृथ्वीकायिक का कथन हुआ। .
बादर पृथ्वीकायिक कितने प्रकार के कहे गये हैं?
बादर पृथ्वीकायिक दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - पर्याप्तक और अपर्याप्तक। इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में कहा है वैसा कह देना चाहिये। श्लक्ष्ण (मृदु-बारीक पीसे हुए आटे के समान) पृथ्वीकायिक सात प्रकार के हैं और खर पृथ्वीकायिक अनेक प्रकार के कहे गये हैं। यावत् असंख्यात हैं। यह बादर पृथ्वीकायिक का कथन हुआ। इस प्रकार पृथ्वीकायिक का वर्णन हुआ। इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना सूत्र के प्रथम पद में कहा है वैसा संपूर्ण रूप से समझ लेना चाहिये यावत् वनस्पतिकायिक तक कह देना चाहिये। यावत् जहां एक वनस्पतिकायिक जीव है वहां कदाचित् संख्यात, कदाचित् असंख्यात और कदाचित् अनन्त वनस्पतिकायिक समझना चाहिये। यह बादर वनस्पतिकायिक का वर्णन हुआ। यह वनस्पतिकायिक का कथन हुआ।
· विवेचन - पृथ्वीकायिक आदि पांच स्थावर जीवों का विशेष वर्णन जानने के लिए सूत्रकार ने प्रज्ञापना सूत्र प्रथम पद की भलामण दी है। जिज्ञासुओं को वहां देख लेना चाहिये।
त्रसकायिक जीव से किं तं तसकाइया? तसकाइया चउविहा पण्णत्ता, तं जहा - बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिदिया, पंचेदिया। से किं तं बेइंदिया?..
बेइंदिया अणेगविहा पण्णत्ता, एवं जं चेव पण्णवणापए तं चेव णिरवसेसं भाणियव्वं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवा से तं अणुत्तरोववाइया, से तं देवा, से तं पंचेंदिया, से तं तसकाइया॥१००॥
भावार्थ- त्रसकायिक जीव कितने प्रकार के कहे गये हैं?
त्रसकायिक जीव चार प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं - बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय।
बेइन्द्रिय जीवों का क्या स्वरूप है ?
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