Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
३००
उस एकोरुक द्वीपं में स्थान स्थान पर बहुत सी पद्मलताएं यावत् श्यामलताएं हैं जो सदैव कुसुमित रहती हैं यावत् लता का वर्णन औपपातिक सूत्र के अनुसार कह देना चाहिये यावत् वे अत्यंत प्रसन्नता उत्पन्न करने वाली, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं।
उस एकोरुक नामक द्वीप में स्थान स्थान पर बहुत से सेरिका गुल्म यावत् महाजाति गुल्म हैं। गुल्म पांच वर्णों के फूलों से सदा कुसुमित रहते हैं। उनकी शाखाएं पवन से हिलती रहती हैं जिससे उनके फूल एकोरुकद्वीप के भूमिभाग को आच्छादित करते रहते हैं जिससे ऐसा लगता है मानो ये फूलों की वर्षा कर रहे हों ।
जीवाजीवाभिगम सूत्र
उस एकोरुक द्वीप में स्थान स्थान पर बहुत सी वनराजियां हैं। वे वनराजियां अत्यंत हरी भरी होने से काली प्रतीत होती हैं, काली ही उनकी कांति है यावत् वे रम्य हैं और महामेघ के समुदाय रूप प्रतीत होती है यावत् वे बहुत ही मोहक और तृप्तिकारक सुगंध छोड़ती है । वे अत्यंत प्रसन्नता उत्पन्न करने वाली, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में एकोरुक द्वीप के बहुत रमणीय समतल भूमिभाग पर स्थित वनखण्ड के वृक्षों, लताओं, गुल्मों और वनराजियों का वर्णन किया गया है। वृक्षों के समुदाय को वन कहते हैं। जिनका स्कंध तो छोटा हो किंतु शाखाएं बड़ी बड़ी हों और जो पत्र, पुष्प आदि से लदी रहती हों, उन्हें गुल्म कहते हैं। वनों की पंक्तियों को वनराजि कहते हैं।
दस वृक्षों का वर्णन
-
Jain Education International
१. मतांगा नामक वृक्ष
एगूरुयदीवे णं दीवे तत्थ तत्थ बहवे मत्तंगा णाम दुमगणा पण्णत्ता समणाउसो ! जहा से चंदप्पभ- मणिसिलाग - वर-सीहुपवरवारुणि-सुजातफलपत्तपुप्फ-चोय - णिज्जाससारबहुदव्वाजुत्तसंभारकालसंधयासवा महुमेरगरीट्ठाभ-दुद्धजाई - पसण्णमेल्लगसयाउ खज्जूरमुद्दियासार-काविसायण-सुपक्कखोयरसवरसुरा- वण्णरसगंधफरिसजुत्तबल वीरिय परिणामा मज्जविहित्थबहुप्पगारा तदेवं ते मत्तंगयावि दुमगणा अणेग बहुविविहवीससा परिणयाए मज्जविहीए उववेया फलेहिं पुण्णा वीसंदंति कुसविकुस विसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति १ ।
कठिन शब्दार्थ - मत्तंगा - मत्तांगा- पोष्टिक रस देने वाले, बलवीरिबंपरिणामा - बलवीर्य पैदा करने वाले, मज्जविहित्थबहुप्पगारा बहुत मद्य प्रकारों में, अणेगबहुविविहवीससा परिणयाए मज्जविहीए उववेया- बिविध परिणाम वाली मद्यविधि से युक्त ।
-
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org