Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
-
तृतीय प्रतिपत्ति - प्रथम तिर्यंचयोनिक उद्देशक - एकेन्द्रिय जीवों के भेद-प्रभेद
२६५
जोणिया
पज्जत्तसुहमपुढविकाइय एगिदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तसुहमपुढविकाइव एगिदिय
मपुढावकाइयणगादयातारक से किं तं बायरपुढविकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया? . - FASH
बायरपुढविकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहारपज्जत्तबायर पुढविकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया अपज्जत्तबायरपुढविकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया, से तं बायरपुढविकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया, सेतं पुढवीकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया॥ .. भावार्थ - एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं? ET एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक पांच प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं -१-६. पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक यावत् वनस्पतिकायिक एकन्द्रिय तिर्यंचयोनिक . पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ? I EEE.
पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक वो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - सूक्ष्म पृथकीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक।
les सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिके कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय नियंचयोनिक और अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक। यह सूक्ष्म पृथ्वीकाय का वर्णन हुआ।
बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - पर्याप्त बादर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त बोदर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय लियचयानिक। यह बौदिर पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक काविर्णन हुआ। यहःपृथ्वीकायिक एकेन्द्रिकचौतका वर्णन हुआ। आ
y nyye से किं तं आउक्काइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया?:
आउक्काइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, एवं जहेव पुढविकाइयाणं तहेव चउक्कओ (आउकाय) भेदो एवं जावावणस्सइकाइया, से तं वणस्सइकाइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिया। HSभावार्थ- अप्कायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक का क्या स्वरूप है ?
चयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं। जिस प्रकार पृथ्वीकायिक के भेद
N
..
.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org