Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
कहे हैं उसी प्रकार अप्कायिक के भेद कह देने चाहिये यावत् वनस्पतिकायिक तक इसी प्रकार भेद कहने चाहिये। यह वनस्पतिकायिक एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों का कथन हुआ ।
विवेचन प्रस्तुत सूत्र में एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों के भेद प्रभेद का कथन किया गया है। एकेन्द्रिय जीव सूक्ष्म और बादर के भेद से दो प्रकार के होते हैं। सूक्ष्म और बादर एकेन्द्रिय के भी पर्याप्त और अपर्याप्त ये दो भेद होते हैं। इस तरह एकेन्द्रिय तिर्यंचयोनिकों के कुल बीस भेद हो जाते हैं।
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बेइन्द्रिय आदि तिर्यंच जीव
से किं तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया ?
बेइंदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा पज्जत्त बेइंदिय तिरिक्खजोणिया अपज्जत्त बेइंदिय तिरिक्खजोणिया । से तं बेइंदिय तिरिक्खजोणिया एवं जाव चउरिंदिया |
भावार्थ - बेइन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं?
बेइन्द्रिय तिर्यंचयोनिक दो प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं- पर्याप्त बेइन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और अपर्याप्त बेइन्द्रिय तिर्यंचयोनिक । यह बेइन्द्रिय तिर्यंचयोनिक का कथन हुआ। इसी प्रकार यावत् चरिन्द्रियों तक कह देना चाहिये ।
पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक के भेद
से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?
पंचेंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा जलयर पंचेंदियतिरिक्खजोणिया थलयरपंचेंदिय तिरिक्खजोणिया खहयरपंचेंदिय तिरिक्खजोणिया ।
भावार्थ- पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं? पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक तीन प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं तिर्यंचयोनिक, स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक और खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक ।
जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक
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से किं तं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?
जलयरपंचेंदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संमुच्छिंमजलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया य गब्भवक्कंतिय जलयर पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया य ।
जलचर पंचेन्द्रिय
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