Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
दर्वीकर अनेक प्रकार के कहे गये हैं। जैसे आशीविष यावत् दर्वीकर का पूरा कथन। मुकुली कितने प्रकार के कहे गये हैं?
मुकुली अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - दिव्याक गोनस यावत् मुकुली का पूरा कथन।
अजगर कितने प्रकार के कहे गये हैं ? अजगर एक ही प्रकार के कहे गये हैं। यह अजगर का वर्णन हुआ। .. आसालिका का क्या स्वरूप है? आसालिकों का वर्णन प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार समझना चाहिये। महोरग का क्या स्वरूप है?
महोरग का वर्णन प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार समझना चाहिये। इसी प्रकार के अन्य जो उरःपरिसर्प हैं वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं - पर्याप्तक और अपर्याप्तक। शेष सब पूर्ववत् समझना चाहिये। विशेषता इस प्रकार हैं - इन जीवों के शरीर की अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट योजन पृथक्त्व (दो से लेकर अनेक योजन तक)। स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त उत्कृष्ट तिरपन हजार वर्ष। शेष सारा वर्णन जलचरों के समान ही समझना चाहिये यावत् ये चार गति में जामें वाले, दो गति से आने वाले, प्रत्येक शरीरी और असंख्यात हैं। इस प्रकार उर:परिसर्प का वर्णन हुआ।
विवेचन - उर:परिसर्प संमूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक चार प्रकार के कहे गये हैं - १. अहि २. अजगर ३. आसालिका और ४. महोरग।
अहि दो प्रकार के कहे गये हैं - १. दर्वीकर अर्थात् कुडछी या चाटु की तरह फण फैलाने वाले सर्प, दर्वीकर अनेक प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - आशीविष (दाढों में विष वाले) दृष्टिविष (दृष्टि में विष वाले) उग्रविष.(तीव्र विष वाले) भोगविष (फण या शरीर में विष वाले) त्वचाविष (चमडी में विष वाले) लालाविष (लार में विष वाले) उच्छ्वास विष (श्वास लेने में विष वाले) निःश्वास विष (श्वास छोड़ने में विष वाले), कृष्ण सर्प, श्वेत सर्प, काकोदर दर्भपुष्प, कोलाह, मेलिमिंद और शेषेन्द्र आदि। २. मुकुली अर्थात् फण उठाने की शक्ति से विकल, जो सर्प बिना. फण वाले हैं वे मुकुली कहलाते हैं। मुकुली अनेक प्रकार के कहे गये हैं। यथा - दिव्याक, गोनस, कषाधिक, व्यतिकुल, चित्रली, मंडली, माली, अहि, अहिशलाका, वासपताका आदि। अजगर एक ही प्रकार के होते हैं। __प्रज्ञापना सूत्र में आसालिका का वर्णन इस प्रकार किया गया है -
प्रश्न - आसालिका कितने प्रकार के होते हैं ? हे भगवन्! आसालिका क्या सम्मूर्छिम रूप से उत्पन्न होते हैं ?
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