Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
१०२
जीवाजीवाभिगम सूत्र . .
भवनवासी देव से किं तं भवणवासी? भवणवासी दसविहा पण्णत्ता, तं जहा - असुरा जाव थणिया, से तं भवणवासी। भावार्थ - भवनवासी देव कितने प्रकार के कहे गये हैं ? भवनवासी देव दस प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार।
वाणव्यन्तर देव से किं तं वाणमंतरा?
वाणमंतरा देव भेदो सव्वो भाणियव्वो जाव ते समासओ दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्ता य अपज्जत्ता य। 'भावार्थ - वाणव्यंतर देवों के कितने भेद कहे गये हैं?
देवों के सभी भेद प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार समझने चाहिये। यावत् वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं - पर्याप्त और अपर्याप्त।
विवेचन - प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार देवों के अलग अलग भेद इस प्रकार होते हैं -
भवनवासी देवों के भेद - भवनवासी देवों के दस भेद हैं - १. असुरकुमार २. नागकुमार ३. सुपर्णकुमार ४. विद्युत्कुमार ५. अग्निकुमार ६. द्वीपकुमार ७. उदधिकुमार ८. दिशाकुमार ९..पवनकुमार और १०. स्तनितकुमार। . वाणव्यंतर देवों के भेद - वाणव्यंतर देव आठ प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. किन्नर २. किम्पुरुष ३. महोरग ४. गंधर्व ५. यक्ष ६. राक्षस ७. भूत और ८. पिशाच।
ज्योतिषी देवों के भेद - ज्योतिषी देव पांच प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. चन्द्र २. सूर्य ३. ग्रह ४. नक्षत्र और ५. तारा। .
वैमानिक देवों के भेद - वैमानिक देव दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - १. कल्पोपन्न और २. कल्पातीत। कल्प शब्द का अर्थ है - मर्यादा अर्थात् जहां छोटे बड़े स्वामी सेवक की मर्यादा है उन्हें कल्पोपन्न कहते हैं। कल्पोपन्न देव बारह होते हैं - यथा - १. सौधर्म २. ईशान ३. सनत्कुमार ४. माहेन्द्र ५. ब्रह्मलोक ६. लान्तक ७. महाशुक्र ८. सहस्रार ९. आनत १०. प्राणत ११. आरण और १२. अच्युत। .. जिन देवों में इन्द्र, सामानिक आदि की एवं छोटे बड़े की मर्यादा नहीं है अपितु सभी अहमिन्द्र हैं वे कल्पातीत कहलाते हैं। कल्पातीत देव दो प्रकार के कहे गये हैं - १. ग्रैवेयक और
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org