Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रथम प्रतिपत्ति - सम्मूछिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों का वर्णन
७१
उत्तर - तिर्यंच पंचेन्द्रिय दो प्रकार के कहे गये हैं। यथा - सम्मूर्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय और गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय।
सम्मूच्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीवों का वर्णन से किं तं सम्मुच्छिम पंचेंदियतिरिक्ख जोणिया?
सम्मुच्छिम पंचेंदिय तिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - जलयरा, थलयरा, खहयरा॥३४॥
भावार्थ - प्रश्न - सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक कितने प्रकार के कहे गये हैं ?
उत्तर - सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक तीन प्रकार के कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - जलचर, स्थलचर और खेचर।
विवेचन - माता के संयोग बिना ही जिन प्राणियों का उत्पाद है वह संमूर्च्छिन है इस संमूर्च्छन से जो उत्पन्न होते हैं वे संम्मूर्छिम हैं। ऐसे सम्मूर्छिम जो पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक हैं वे सम्मूर्च्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक हैं। सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिक जीव तीन प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं - १. जलचर - जो जल में चलते हैं वे जलचर हैं, जैसे मत्स्य आदि। २. स्थलचर - जो स्थल में चलते हैं वे स्थलचर है, जैसे - गाय भैंस आदि। ३. खेचर - जो आकाश में चलते हैं वे खेचर हैं, जैसे - कबूतर आदि पक्षी। .
- जलचर के भेद से किं तं जलयरा? जलयरा पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - मच्छगा कच्छभा मगरा गाहा सुंसुमारा। से किं तं मच्छा ?
एवं जहा पण्णवणाए जाव जे यावण्णे तहप्पगारा, ते समासओ दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्ता य अपज्जत्ता य॥ . भावार्थ - प्रश्न - जलचर कितने प्रकार के कहे गये हैं?
उत्तर - जलचर पांच प्रकार के कहे गये हैं वे इस प्रकार हैं - १. मत्स्य २. कच्छप ३. मगर ४. ग्राह और ५. सुंसुमार।
प्रश्न - मच्छ का क्या स्वरूप है?
उत्तर - मच्छ अनेक प्रकार के कहे गये हैं इत्यादि वर्णन प्रज्ञापना सूत्र के अनुसार समझन चाहिये यावत् इसी प्रकार के अन्य मच्छ आदि भी जलचर सम्मूर्छिम पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक हैं वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं - १. पर्याप्तक और २. अपर्याप्तक।
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