Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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जीवाजीवाभिगम सूत्र
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६६
३. वालुकाप्रभा पृथ्वी नैरयिक ४. पंकप्रभा पृथ्वी नैरयिक ५. धूमप्रभा पृथ्वी नैरयिक ६. तमः प्रभा पृथ्वी नैरयिक और ७. अधः सप्तम पृथ्वी नैरयिक। नैरयिक जीव संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं - १. पर्याप्तक और २. अपर्याप्तक ।
तेसि णं भंते! जीवाणं कइ सरीरगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा - वेडव्विए, तेयए, कम्मए ।
तेसि णं भंते! जीवाणं के महालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा सरीरोगाहणा पण्णत्ता, तं जहा - भवधारणिज्जा ये उत्तरवेडव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं पंच धणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेडव्विया सा जहण्णेणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं उक्कोसेणं धणुसहस्सं ।
कठिन शब्दार्थ भवधारणिज्जा - भवधारणीय, उत्तरवेडव्विया उत्तरवैक्रिय । भावार्थ - प्रश्न - हे भगवन् ! नैरयिक जीवों के कितने शरीर कहे गये हैं ?
उत्तर - हे गौतम! नैरयिक जीवों के तीन शरीर कहे गये हैं। यथा- वैक्रिय, तैजस और कार्मणः । प्रश्न - हे भगवन् ! उन जीवों के शरीर की अवगाहना कितनी है ?
उत्तर - हे गौतम! उन जीवों की शरीर की अवगाहना दो प्रकार की कही गयी है । यथा भवधारणीय और उत्तर वैक्रिय । जो भवधारणीय अवगाहना है वह जघन्य से अंगुल का असंख्यातवां भाग और उत्कृष्ट से पांच सौ धनुष । जो उत्तर वैक्रिय अवगाहना है वह जघन्य से अंगुल का संख्यातवां भाग और उत्कृष्ट एक हजार योजन की है।
सिणं भंते! जीवाणं सरीरा किं संघयणी पण्णत्ता ?
गोयमा! छण्हं संघयणाणं असंघयणी, णेवट्ठी णेव छिरा णेव ण्हारु णेव संघयणमत्थि, जे पोग्गला अणिट्ठा, अकंता, अप्पिया, असुभा, अमणुण्णा, अमणामा ते तेसिं संघायत्ताए परिणमति ॥
कठिन शब्दार्थ - णेवट्ठी हड्डी नहीं है, छिरा नाड़ी, ण्हारु स्नायु, अणिट्ठा - अनिष्ट - जिसकी इच्छा न की जाय, अकंता अकान्त-अकमनीय जो सुहावने न हों, अप्पिया अप्रिय-जो दिखते ही अरुचि उत्पन्न करें, असुभा - अशुभ- खराब वर्ण, गंध, रस, स्पर्श वाले, अमणुण्णा - अमनोज्ञ- जो मन में आह्लाद उत्पन्न नहीं करते, अमणामा अमनाम - जिनके प्रति रुचि उत्पन्न न हो, संघायत्ताए - संघात रूप से, परिणमंति- परिणाम को प्राप्त हो जाते हैं।
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भावार्थ- प्रश्न हे भगवन् ! उन जीवों के शरीर का संहनन कैसा है ?
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