Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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१६ सखा शखा सखणगा (शेखनक १४ घुल्ला (घाँधी) ६. खुल्ला (खुल्ला समुद्री आकार के छोटे शंख) १६. वराडा (वराटा-कोटियां) १७. सोत्तिया (साँत्रिका
मौलिया (मात्रिक)१. कल्लुया भावासो र एंगतीवता एकविते) शीऑवत्ता (द्विआवर्त) २३. णदिवाक्त नन्दिकवितासंधुक्का (शम्बूक)२५. मोइवोहार मातृवाह) २वासिप्पिस सिप्पिसंपुट-सीपडिया)वेदणारचंदनक-अक्ष-पीसी) २९ समुर्लिक्खा (समुद्र लिक्षा)। Fire RESE OFSE D EITE fohay sit
छाये सब तथा अन्य इसी प्रकार के मृत कलेवर आदि में उत्पन्न होने वाले कान आदि बेईन्द्रिय जीव होते हैं। इनके दो भेद हैं । पर्याप्त और अपर्याप्त FिEहिलो गFF Dil is on तेसि णं भंते! जीवाणं कइ सरीरगा पण्णत्ता?
मी . • गोयमोतिऔं सरीरंगा पणतीत जहाँ ओगलियाँ कम्F isex A linaiSFERTISEtc गलिया सरारागाहणा पण्णत्ता?
मालका ____ गोयमा! जहण्णेणं अंगुलासंखेजड़भागं उक्कोसेणं बारस जोयणाई, छेवट्ठ संघयणा, हुंडसंठिया, चत्तारि कसायी, चित्तारि सण्णाओं, तिण्णि लेसाओ, दो इंदिया, तओ समुग्घाया-वेयणा कसाया मारणंतिया, णोसण्णी असणीसगावेगा, पंड पणतीओ, पंकअपजातीमो सम्मदिधीविमिच्छादिष्टि विाणी सम्मामिच्छादिवि, णोधकाबुदसपी अचाक्खुदसणीगोंओहिदमागी में केवलदसणीpon TOUETE
तेणं भंते! जीवा किं णाणी अण्णाणी? PORTF की - INTEPILE गोचमा माणी वि अण्णाणी कि, जे गाणी ते णियमा दुण्णाणी त जहा - आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी य, जै अण्णाणी तेणियमा दुअण्णाणी-मई अण्णाणी य सुयअण्णाणी य, णो मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, आहारो णियमा छद्विसि, उववाओ तिरियमणुस्सेस, णेरड्यदेव असंखेज्जवासाउयवज्जेस, लिई जहणपोणं अंतोमुहृतं उक्कोसेणं बारस मंचच्छराणि, समोहया वि मरति असमोहया वि मरंति, कहिं मच्छंति ) TERTS
णेरइयदेव असंखेज्जवासाउयवज्जेसु गच्छंति-दुसइया दुआगइयाण परित्ता असंखेज्जा, सेत्तं बेइंदियारा REFEES E - ri ) Tix (हावामान- हे भयनन्। बेइन्द्रिय जीवों के कितने शरीरकिहे गये हैं? TE) , (उत्तरमाहे गौतमा बेइन्द्रिय जीवों के तीन शरीर को पहले यथा- औदारिक, सैजसे औरधामण।"
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