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नव तत्व
९ मोक्ष तत्व के लक्षण तथा भेद वन्ध तत्व का उल्टा मोक्ष तत्व है अर्थात् सकल आत्मा के प्रदेश से सर्व कर्मो का छूटना, सर्व बन्धो से मुक्त होना, सकल कार्य की सिद्धि होना तथा मोक्ष गति को प्राप्त होना सो मोक्ष तत्व ।
मोक्ष प्राप्ति के चार साधन . १ ज्ञान २ दर्शन ३ चारित्र और ४ तप। सिद्ध पन्द्रह तरह के होते है :
१ तीर्थसिद्धा २ अतीर्थ सिद्धा ३ तीर्थ कर सिद्धा ४ अतीर्थ कर सिद्धा ५ स्वयं बुद्धसिद्धा ६ प्रत्येकबुद्ध सिद्धा ७ बुद्धबोधित सिद्धा ८ स्त्रीलिङ्ग सिद्धा ६ पुरुषलिङ्ग सिद्धा १० नपु सकलिङ्ग सिद्धा ११ स्वलिङ्ग सिद्धा १२ अन्यलिङ्ग सिद्धा १३ गृहस्थलिङ्ग सिद्धा १४ एक सिद्धा १५ अनेक सिद्धा।
मोक्ष के नव द्वार १ सत्, २ द्रव्य, ३ क्षेत्र, ४ स्पर्शना, ५ काल, ६ भाग, ७ भाव, ८ अतर, ६ अल्पवहुत्व । १ सत्पद प्ररुपणाद्वार -
मोक्ष गति पूर्व समय मे थी, वर्तमान समय मे है व आगामी __ काल मे रहेगी उसका अस्तित्व है, आकाश कुसुमवत् उसकी नास्ति । नही। १ २ द्रव्य द्वार -
सिद्ध अनन्त है, अभव्य जीव से अनन्त गुरणे अधिक है। एक { वनस्पति काय के जीवो को छोड कर दूसरे २३ दंडक के जीवो से
सिद्ध अनन्त है।
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