________________
जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता * 41
10. द्राविड़ी 11. सिंघविय 12. मालविनी 13. नागरी 14. लाटी
15. पारसी 16. अनिमित्ती 77. चाणक्यी व
28. मूलदेवी पुरुषों की बहत्तर कलाएँ :
1. लेहं - लेखन कला 2. गणियं - गणित कला 3. रुवं - रूप कला 4. नर्से - नाट्य कला 5. गीयं – संगीत कला 6. वाइयं - वाद्य बजनाने की कला 7. सरगयं - स्वर जानने की कला 8. पुक्खरगयं - ढोल आदि वाद्य बजाने की कला 9. समतालं - ताल देने की कला 10. जूयं - जुआ खेलने की कला 11. जणवायं - वार्तालाप करने की कला 12. पारे किच्चं - नगर के संरक्षण की कला 13. अट्ठावयं - पासा खेलने की कला 14. दग मट्यिं - पानी व मिट्टी के योग से वस्तु बनाने की कला 15. अन्नविहिं - अन्न उत्पादन की कला 16. पाणविहिं - पानी को शुद्ध करने की कला 17. वत्थविहिं - वस्त्र बनाने की कला 18. सयणविहिं - शय्या निर्माण की कला 19. अज्जं - संस्कृत भाषा में कविता निर्माण की कला 20. पहेलियं - प्रहेलिका निर्माण की कला 21. गाहं - प्राकृत भाषा में गाथा निर्माण की कला 22. मागहियं - छन्द बनाने की कला 23. सिलोगं - श्लोक बनाने की कला 24. गंधजुत्ति - सुगंधित पदार्थ बनाने की कला 25. मधुसित्थं - मधुरादि षट्रस बनाने की कला 26. आभरणविहिं - अलंकार निर्माण तथा धारण करने की कला 27. तरुणी पडिक्कम्मं - स्त्री को शिक्षा देने की कला 28. इत्थी लक्खणं - स्त्री के लक्षण जानने की कला 29. पुरिस लक्खणं - पुरुष के लक्षण जानने की कला