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में ते बढे ते ते सफला थाय हो सामागी। ॥४॥ दूर दिसाबर देश प्रदेशयें ॥ भटके भोला लोक हौ । सोभागी!! सानिधकारी सुमरन आपरो । सहजे मिटै सो कहौ |५|| आगम साख सुणी छै एहवी ॥ जो जिण सेवक होय हो । तेहनिआसा पूरै देवता॥ चौसठ इन्द्रादिक सोय हो ॥ ६ । सोभागी। भव भव अंतरजागी तुम प्रभु ॥ हमनै छै
आधार हो। बेकरजोर बिनचंद विन_आपौ सुख्ख भी कार हो। सोभागी॥७॥१६॥इति।। .. ढाल रेखतो॥ कुंथु जिण राज तु ऐसौ ।। ही कोई देवता जैसी ।। टेर ॥ त्रिलोकी नाथ तूं कहियै । हमारी ह दृढ गहिये ॥ १॥ कुंथु० ॥ भवो दधि वतौ तारौ ॥ कृपा निधि आसरो थारौ ॥