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अनानु पूर्वी ।
(४) यह शरीर अनित्य है तथा वैभव 'धन' है सो भी
अस्थिर है और हमेशा मृत्यु उपस्थित है इसवास्ते धर्म का संग्रह जरूर करना चाहिये
(५) सचा देव वह है जो
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१३ दुषण रहित १२ गुण सहित ३४ अतिशय ३५ वाणी गुण करके युक्त हों तथा ६४ इन्द्रों करके पूजित हो, सोही परमात्मा अरिहंत देव है, ऐसे चोवीस तीर्थकर प्रत्येक उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी काल में होते हैं वे प्रवृति मार्ग को त्याग कर निवृति मार्ग को ग्रहण करते हैं और सदुपदेश देकर तीर्थ को प्रवर्ताते हैं ।
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