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(६०) तव श्री भगवान् उत्तर देते हैं कि. हे गौतम ! आगम प्रमाण द्विविधसे प्रतिपादन किया है जैसेकि लौकीक आगम १ लोको. त्तर आगम २॥ श्री गौतमजी पुनः पूछते है कि हे भगवन् लोकीक आगम कौनसे हैं ? भगवान् उत्तर देते हैं कि हे गौतम ! जैसोक मिथ्यादृष्टि लोगोंने अज्ञानताक प्रयोगसे स्वछंदतासे कल्पना करलिये है भारत रामायण यावत् चतुर वेद सांगोपांग पूर्वक, यह सर्व लौकीक आगम है, क्योंकि इन आगमोंमें पदायाँका सत्य २ स्वरूप प्रतिपादन नही किया है अपितु परस्पर विरोधजन्य कथन है, इस लिये ही इनका नाम लौकीक आगम है ।
मूल ॥सेकिंतं लोगुत्तरिय आगमे २ जश्म अरिहंतेहिं नगवंतेहिं जावपणीय दुवालसंगं तंजहा आयारो जावदिठिवाओ सेत्तं लोगुत्तरिय आगमे॥
___ भाषार्थ:-(प्रश्नः ) लोकोत्तर आगम कौनसे हैं ? (उत्तरः) __ जो यह प्रत्यक्ष अरिहंत भगवंत कर करके प्रतिपादन किये - हैं, द्वादशांग आगमरूप सूत्र समूह जैसेकि आचारांगसे