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(९) एंजिनसे काम लिये, पचासों सैकड़ों इंजिनियर मजदूर लगाये, यह जगत् नहीं बन सकता, और इसमें भी स्त्री पुरुषके सयोग वगैर मनुष्य उत्पन्न नहीं हो सकते । सूक्ष्म परमाणुओंसे स्त्री पुरुषका होना नितांत असम्भव और प्रमाण बाधित है। यह बात कभी नये प्रमाणसे सिद्ध नहीं हो सकती और न बुद्धि ही इस बातको ग्रहण कर सकती है । सायस इस बातको. बतला रही है कि ऐसा होना प्रकृतिके नियम विरुद्ध है। इससे जाहिर होता है कि ईश्वर जगत्कर्ता नहीं है। ___ अस्तु, इस वातको जाने दीजिये । यह कहिये कि ईश्वरने जगतको क्यों बनाया ? बिना इच्छा या आवश्यकताके कोई किसीको नही बनाता है। जब हमको भूख लगती है तो हम भोजन करते हैं । जब ठंड लगती है तब कपडा ओढते हैं। इसी तरह बताइये कि ईश्वरको क्या इच्छा थी या क्या आवश्यकता थी कि उसने जगत् बनाया ? यदि उसे कुछ इच्छा थी तो क्या ? इच्छा तो रागीद्वेषियोंमें होती है । ईश्वर न रागी है न द्वेषी, फिर उसमें इच्छाका होना कैसे हो सकता है ? यदि ईश्वरमें इच्छा ही थी और वह इस बातकी थी कि लोग स्वतंत्रतापूर्वक कर्म करें और फिर उनका फल उनको दिया जावे तो इसमें ईश्वरने क्या भलाई सोची ? वह तो सर्वज्ञ था, जानता