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( ४२ ) अथ कारण अनुमान प्रमाणका वर्णन करते हैं:--
मूल ॥ लोकतं कारणेणं तंतवो पमस्त कारणं नपो तंतुकारणं एवं वीरणा कडस्स कारणं नकमो वीरणा कारणं मयपिंडो घडस्स कारणं नघमो मयपिंडस्स कारणं सेतं कारणेणं ॥
भापार्थः-पूर्वपक्षः-कारणका क्या लक्षण है ? उत्तर पक्ष:जैसे तंतु पटके कारण है किन्तु पट तंतुओंका कारण नहीहै तथा जैसे तृण पल्यंकादिका कारण है अपितु पल्यंक तृणादिका कारण नही है तथा मृत्तपिंड घटका कारण है न तु घट मृत्तपिंडका कारण, इसका नाम कारण अनुमान प्रमाण है, क्योंकि इस भेदके द्वारा कार्य कारणका पूर्ण ज्ञान हो जाता है और कारण के सदृश्य ही कार्य रहता है। जैसे मृत्तिकासे घट अपितु वह घट सद्रूप मृत्तिकाही है न तु पटमय; इसी प्रकार अन्य भी कारण कार्य जान लेने ॥
अथ गुण अनुमान प्रमाणका वर्णन किया जाता है
मूल ॥ सकिंतं गुणेणं २ । सुवन्नं निकसेणं मगंधेणं लवणं रसेणं मरंथासाणं वत्थंफा