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(५६) नीलगाय है, केवल सास्नादि वर्जित है किन्तु शेष अवयव प्रायः साधर्म्यतामें तुल्य हैं; इसी वास्ते इसका नाम प्रायः साधम्र्योपनीत अनुमान प्रमाण है ॥ अथ सर्व साधोपनीतका वर्णन किया जाता है ॥
मूल ॥सेकित्तं सव साहम्मोवमं नत्थि तहा वितस्स तेणेव उवमं कीर तंजहा अरिहंतेहिं अरिहंत सरिसं कयं एवं चकवहिणा चकवटी सरिसं कयं बलदेवेणं बलदेव सरिसं कयं वासुदेवेणं वासुदेव सरिसं कयं साहुणा साहु सरिसं कयं सेत्तं सब साहम्मे सेत्तं सब साहम्मोवणीय ॥
भापार्थः-(प्रश्नः) वह कौनसा है सर्व साधोपनीत उपमान प्रमाण ? ( उत्तरः) सर्व साधोपनीत उपमान प्रमाणकी कोई भी उपमा नही होती है परंतु तद्यपि उदाहरण मात्र उपमा करके दिखलाते हैं । जैसेकि अरिहंत (अर्हन)ने अरिहंतके सामान ही कृत किया है इसी प्रकार चक्रवर्तीने चक्रवत्तींके तुल्य ही