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भाषार्थ : - ( प्रश्नः ) अवयव अनुमान प्रमाणके उदाहरण कौन २ से है अर्थात् जिन उदाहरणों के द्वारा अवयव अनुमान प्रमाणका बोध हो, क्योंकि अवयव अनुमान प्रमाण उसे कहते हैं जिस पदार्थके एक अवयव मात्रके देखने से पूर्ण उस पदार्थके स्वरूपका ज्ञान हो जाये || ( उत्तरः ) जैसे महिप शृंग क रके, कुर्कुट शिखा करके, हस्ति दांतों करके, शूकर दाढ़ी करके, अश्व खुरकरके, मयूर पूछ करके, वाघ नख करके, चमरी गायचालों करके, वानर लांगुल ( पूछ ) करके, मनुष्य द्विपद क रके, गवादि पशु चार पद करके, कानखरजुरादि बहुपदकरके, सिंह केसरकरके, वृषभ स्कंध करके, सी भुजाओंके आभूषण करके शुभट राजचिन्हादि करके तथा स्त्री वेष करके, एक सित्थ मात्रके देखनेसें हांडी के तंडुलादिकी परीक्षा हो जाती है, कविकी परीक्षा एक गाथाके उच्चारणसे हो जाती है, इसका नाम, अवयव अनुमान प्रमाण है, क्योंकि एक अंश करके वोध हुआ सर्व अशोका बोध हो जाता है जेसे कि, आगम में कहा है कि (जे एगं जाणइ से सव्वं जाणइ जे सव्र्व्वं जाणइ से एगं जाणइ ) जो एकको जानता है वह सर्वको जानता है जो सर्वको जानता है वह एकको भी जानता है ॥
अथ आश्रय अनुमान प्रमाण स्वरूप इस प्रकार से किया जाता है जैसे कि—