________________
( ४९ ) मुष्टिके होनेपर ही यह लक्षण हो सक्ते हैं सो इसका नाम भूत अनुमान प्रमाण है क्योंकि इसके द्वारा भूत पदार्थों का बोध भली प्रकारसे हो जाता है ।
मूल ॥ सेकित्तं पमुप्पण कालग्गहणं २ साहु गोयरग्गगयं विलमिय पजर भत्तपाणं पासित्ता तेणं साहिडाइ जहा सुन्निक्खं वदृश् सेतं पमुप्पन्न कालग्गदणं ॥ ___ भाषार्थ:- ( प्रश्न ) किस प्रकारसे वर्तमान कालके पदायौँका अनुमान प्रमाणके द्वारा बोध होता है ? ( उत्तर ) जैसे कोई साधु गौचरी (भिक्षा) के वास्ते घरोंमें गया तब साधुने घरोंमें मचुर अन्नपानीको देखा अपितु इतना ही किन्तु अन्नादि बहुतसा परिष्टापना करते हुओंको अवलोकन किया तब साधु अनुमान प्रमाणके आश्रय होकर कहने लगाकि जहां पर मुभिक्ष (मुकाळ ) वर्तता है, सो यह वर्तमानके पदार्थोंका बोध करानेवाला है-अनुमान प्रमाण है ॥
मूल ॥ सेकिंतं अणागय कालग्गहणं २ अभ्नस्स निम्मलतं कसिणाय गिरिस विज्जु मे ।