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इसमें यह कथन है कि-सम्यग्ज्ञान प्रमाणभूत है किन्तु सम्यान द्वि प्रकार से है, प्रत्यक्ष और इतर । अपितु अवधि मनःपर्यवज्ञान यह देश प्रत्यक्ष हैं और केवलज्ञान सकल प्रत्यक्ष हैं, किन्तु मतिश्रुत परोक्ष ज्ञान हैं ।
इसी प्रकार श्री नंदीजी सूत्रमें भी कथन है कि मतिश्रुति परोक्ष ज्ञान हैं और अवधिज्ञान मनः पर्यवज्ञान केवलज्ञान यह प्रत्यक्षज्ञानहै किन्तु व्यवहारनयके मतमे इंन्द्रियजन्य ज्ञान प्रत्यक्ष है ॥
प्रश्नः - नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान कौनसा है ? उत्तरः- नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञानका स्वरूप लिखता हूँ, पढ़िये मूल ॥ सेकिंतं नोइंदिय पच्चक्खे २ तिविहे पं. तं. उहिना पच्चक्खे मण वनाए पच्चक्खे केवलनाण पञ्चक्खे सेतं नोइंदिय पच्चक्खे ||
भाषार्थः-हे भगवन् ! नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान कौनसा है ' भगवान् कहते हैं कि—हे गौतम ! नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान तीन प्रकार से वर्णन किया गया है जैसे कि अवधिज्ञान, मनः पर्य ज्ञान, केवलज्ञान । यह तीन ही ज्ञान नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान हैं, क्योंकि यह तीन ही ज्ञान इंद्रियजन्य पदार्थों के आश्रित नहीं हैं, पितु अवधिज्ञान मनः पर्यवज्ञान यह दोनों देशप्रत्यक्ष हैं और