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________________ ( ३८ ) इसमें यह कथन है कि-सम्यग्ज्ञान प्रमाणभूत है किन्तु सम्यान द्वि प्रकार से है, प्रत्यक्ष और इतर । अपितु अवधि मनःपर्यवज्ञान यह देश प्रत्यक्ष हैं और केवलज्ञान सकल प्रत्यक्ष हैं, किन्तु मतिश्रुत परोक्ष ज्ञान हैं । इसी प्रकार श्री नंदीजी सूत्रमें भी कथन है कि मतिश्रुति परोक्ष ज्ञान हैं और अवधिज्ञान मनः पर्यवज्ञान केवलज्ञान यह प्रत्यक्षज्ञानहै किन्तु व्यवहारनयके मतमे इंन्द्रियजन्य ज्ञान प्रत्यक्ष है ॥ प्रश्नः - नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान कौनसा है ? उत्तरः- नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञानका स्वरूप लिखता हूँ, पढ़िये मूल ॥ सेकिंतं नोइंदिय पच्चक्खे २ तिविहे पं. तं. उहिना पच्चक्खे मण वनाए पच्चक्खे केवलनाण पञ्चक्खे सेतं नोइंदिय पच्चक्खे || भाषार्थः-हे भगवन् ! नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान कौनसा है ' भगवान् कहते हैं कि—हे गौतम ! नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान तीन प्रकार से वर्णन किया गया है जैसे कि अवधिज्ञान, मनः पर्य ज्ञान, केवलज्ञान । यह तीन ही ज्ञान नोइंद्रिय प्रत्यक्ष ज्ञान हैं, क्योंकि यह तीन ही ज्ञान इंद्रियजन्य पदार्थों के आश्रित नहीं हैं, पितु अवधिज्ञान मनः पर्यवज्ञान यह दोनों देशप्रत्यक्ष हैं और
SR No.010234
Book TitleJain Gazal Gulchaman Bahar
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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