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( २५ ) ___ बंद किया जावे तब नूतन जलका आना बंद होजाता है। __ इसी प्रकार जो जो आस्रवके मार्ग हैं जब वह बंध हो गये तब
नूतन की आने भी बंद हुए क्योंकि शुद्धात्मा आस्रवरहित स. म्वररूप है ॥
निर्जरातत्त्व उसको कहते है जब संवर करके कोंके आनेके मार्ग बंद किए जावें फिर पूर्व कर्म जो है उनको तपादि द्वारा शुष्क करना कर्मोंसे आत्माको रहित करना उसकाही नाम निर्जरा है ।। जैसे तड़ागके जलादिको दूर करना तथा मंदिरके द्वारादिके मार्गसे रजादिका निकालना अथवा नावाके जलको नावासे बाहिर करना । इसी प्रकार आत्मासे कर्मोंका भिन्न करना उसका नाम निर्जरा है ॥ तप द्वादश प्रकारका निम्न सूत्रानुसार है। ____ अनशनावमौदर्य बत्तिपरिसङ्ख्यानरसपरित्याग विविक्तशय्यासन कायक्लेशा बाह्यं तपः॥
तत्त्वार्थ सूत्र अ० सू० १५॥अर्थः-अनशन १ उनोदरी २ भिक्षाचरी ३ रसपारत्याग ४ विविक्त शय्यासन ५ कायक्लेश ६ यह षट् प्रकारसे वाघ । तप है ॥ तथा