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ॐ
क्या ईश्वर जगत्कर्त्ता है ?
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“पाठको, खोलो पलक, आंखें उघाड़ो देख लो | ज्ञानदिनकर का उजाला होगया है देख लो ॥ अंधश्रद्धा की कठिन जंजीर को अब तोड़ दो । ससकी कर खोज अपना पक्ष झूठा छोड़ दो ॥
ईश्वरको सृष्टिकर्त्ता माननेवाले महाशय अपने पक्षके समर्थन में यह कहा करते हैं कि मेज, कुरसी, वेंच, लेम्प, चारपाई, टोपी, जूता, कुरता, कागज, कलम, स्याही, लड्डू, पेडा, वूरा, खांड, मिठाई वगैरह जितनी चीजें हम देखते है, वे सब किसी न किसीकी बनाई हुई हैं, विना वनाये नहीं वनीं । इसी तरह इतने बडे जगत्का भी कोई न कोई बनानेवाला जरूर है, विना वनाये नही बन गया, इसका बनानेवाला सर्वव्यापक, सर्व - शक्तिमान, दयालु, परमात्मा है । इसके उत्तरमे निवेदन है कि यदि बिना बनानेवालेक कोई चीज़ नहीं बन सकती और हरएक चीजका बनानेवाला जरूर