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( २८ )
धर्म शिक्षा ।
( १ ) यदि समाज हित का भाव दृढ़ धार्मिकता से जागृत होतो वह समाज हित का भाव खूब अच्छी तरह चमक उठेगा ।
(२) जिसका परमात्मा के सिवाय और कोई अवलंब नहीं हैं वह जानता ही नही कि संसार में पराभाव भी कोई चीज है !
(३) मेरा विश्वास है कि विना धर्मका जीवन बिना सिद्धान्त का जीवन होता है । और बिना सिद्धान्त का जविन वैसा ही है जैसा कि बिना पतवारका जहाज इधर से उधर मारा २ फिरेगा और कभी अपने उदृष्ट स्थान