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अनानुपूर्वी ।
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| ४ | १ | २५ (८) सच्चा धर्म वह है जो | ३ |५| | ३ | ४|१/५/२] अनेकान्त स्याद्वाद करके |३५ १४ |३४२११/५ युक्त पक्षपात रहित, हिंसा | ३ | ५ |
४ २५ १ करके वर्जित और 8 तत्व |३| ५.२४|१| ११२ ७ नय ४ निक्षेप सप्तभगी,
चार प्रमाण करते हो, हेय, ज्ञेय, उपादेय तथा उत्पादव्य ध्रुव सहित हो, सोही पर केवली भापित धर्म है। ऐसा उत्कृष्ट परम्परा का धर्म श्रद्धा सहित पाल कर प्राणी शुभगति को प्राप्त होते हैं। श्री जिन प्रणीत सिद्धान्त श्रवण करने का फल ।