Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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भारत-भैषज्य-रत्नाकरः।
[नकारादि
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नीमकी छाल, पटोल, इन्द्रजौ, हर्र, बहेड़ा, (मात्रा-३-४ रत्ती।) आमला, नागरमोथा और सोंठ १-१ पल (५-५
निम्बादिवतिः तोले ) लेकर सबको ८ सेर पानीमें पकावें। जब १
मिश्रप्रकरणमें देखिये। सेर पानी शेष रहे तो उसे छानकर उसमें ८ पल शिलाजीत मिलाकर मिट्टीके पात्रमें भरकर, उसका
निशादिवटी मुंह बन्द करके रखदें, और १ मास पश्चात् उसमें रसप्रकरणमें देखिये। से औषधको निकालकर उसमें उसके बराबर शुद्ध
निशादिवतिः मनसिल, और १-१ पल मोचरस, आमला, बन- मिश्रप्रकरणमें देखिये। सलोचन, काकड़ासिंगी, और कटेली तथा इन सबका चौथा भाग निसोतका चूर्ण और ३ पल शहद
(३४५७) नीलाब्जाधा गुटिका मिलाकर गोलियां बनावें।
( ग. नि. । तृष्णा.; रा. मा. । छर्दितृषा.) इनके सेवनसे कामला, पाण्डु, और ज्वर | (प्रयोग संख्या २३९३ " तृष्णाप्ती गुटी" नष्ट होता है। अनुपान-दूध ।
| अवलोकन कीजिए ।) इति नकारादिगुटिकाप्रकरणम् ।
अथ नकारादिगुग्गुलुप्रकरणम्
(३४५८) नवकगुग्गुलु
इसके सेवनसे आमवात और कफज तथा ( यो. र.; वृ. नि. र.; ग. नि.; भै. र. । मेदा. मेदज रोग नष्ट होते हैं।
च. द. । स्थौल्या.; वृ. यो. त. । त. १०४) । ( मात्रा-२ माशे । अनुपान-उष्ण जल) म्योपानिमुस्तात्रिफलाविडङ्गैर्गुग्गुलु समम् । (३४५९) नवकषांयगुग्गुल: खादन्सञ्जियेद्व्याधीन्मेदाश्लेष्यामवासजान्।। (च. द.। विसर्प.) ___ सोंठ, मिर्च, पीपल, चीता, नागरमोथा, हर्र, अमृतविषपटोल निम्बकल्कैरुपेतम् । बहेड़ा, आमला और बायबिडंगका चूर्ण १-१ त्रिफला खदिरसारं व्याषिघातं च तुल्यम् ॥ भाग तथा शुद्ध गूगल सबके बराबर लेकर सबको कथितमिदमशेष गुग्गुलोआंगयुक्तं । एकत्र मिलाकर करें।
जयति विषविसन्हिष्ठमष्टादशाल्यम् ।।
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