Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
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प्रयोगमाम
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या
रस-प्रकरणम् ३६५१ नित्यानन्द रसः कफ वातज तथा
रक्त, मांस और
मुख्य गुण मेदगत श्लीपद, अत्रवृद्धि
(५६) श्रीरोगाधिकारः कषाय-प्रकरणम् । ३३७३ नारिकेल पुष्पादि
काथः गर्भस्राव । २८२१ दशमूल काथः सूतिका रोग।
३३९४ निम्बादि प्रयोगः कफज प्रदर। २८२५ , " " "
३३९५
, सूतिका रोगको २८२७ , दुग्धप्रयोग " "
शीघ्र नष्ट करता है। २८३४ दशमूलादि काथः गर्भाशय शोधक ।
३४०१ निर्गुण्ड्यादिकाथः कफवातज कष्ट २८७० दाादि , पीडायुक्त श्वेत,
साध्य सूतिका रोगा लाल, पीला और
३६९६ पश्चमूल काथः सूतिका रोग। काला प्रदर।
३७३८ पटोलादि काथः अण्डाधार रोग। २८७१ , , पीडायुक्त लाल तथा
दुग्धशोधक है। सफेद प्रदर।
३७७९ पथ्यादि काथः २८७६ दुग्धशोधक तथा
सर्वदोषज प्रदर। वर्द्धक प्रयोगाः दुग्ध शोधक तथा
३७८८ पमकादि गण दुग्धवर्द्धक, वृष्य, वर्द्धक ।
वृंहण ।
३७९९ पलाशपत्र योगः। इसके सेवनसे पुत्रो२८९६ देवदार्वादि काथः प्रसूताका शूल,
त्पत्ति होती है। खांसी, ज्वर, तन्द्रा, मुर्छा, तृष्णा, अ
३८०३ पलाशादि काथः पीला, सफेद प्रदर, तिसार आदि अनेक
पाण्ड उपद्रव। । ३८०९ पाठादि , दुग्ध शोधक। ३२४१ धातक्यादि काथः प्रदरको ३ दिनमें ३८३६ पिप्पल्यादि , वातज, पित्तज, नष्ट करता है। .
कफज तथा सन्नि३२४१ धात्री रस प्रयोगः बहुमूत्र ।
पातज सूतिकारोग। ३२४६ धात्रीरसादिप्रयोगः योनिदाह । । ३८४० , यूषः वातज, पित्तज, कफज
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