Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी
[७६९]
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संध्या प्रयोगनाम मुरुप गुण । संख्या प्रयोगनाम
लेप-प्रकरणम् ३५४७ निशादि लेपः स्तनमूलकी तीव्र
पीड़ा । | ४४४८ प्रदरान्तक लोहम् ४१६० पश्चकोलादि ,, स्तन्य शोधक । ४१७३ पत्रकादि , रक्त प्रदर, योनि
दाह ।
४४४९ प्रदरान्तको रसः ४१७७ परूषकादि , मूढगर्भ।
४४५० प्रदरारि , ४१७८ पलाशफलादि , योनिकी शिथिलता।
४४५१ , लोहम् ४१७९ पलाशबीज , गर्भरोधक । ४१८३ पाठादि , सुखपूर्वक, प्रसव
करा देता है।
४४५५ प्रमदानन्दा रसः ४९१४ भूस्तृणादियोनि ,, बल वीर्यवान सुन्दर
पुत्रोत्पादक।
| ४७५२ बोलपर्पटी ,
मुख्य गुण न्ध, भयङ्कर सन्निपात, अतिसार । लाल, सफेद, पीला तथा काला दुस्साध्य प्रदर, योनिशूल कटिशूल। असाध्य प्रदर । दुस्साध्य प्रदर। श्वेत, लाल, काला
और पीला दुस्साध्य प्रदर, कटिशूला समस्त जरायुरोग । रक्तप्रदर, रक्तार्श ।
मिश्र-प्रकरणम् धूप-प्रकरणम् ३५६३ निम्बकाष्ठ धूपः गर्भरोधक ।
३३३७ धत्तूरमूल योगः गर्भरोधक । रस-प्रकरणम्
३६७१ नागरादि , वातज प्रदर । ३२१९ द्रुतिसार रसः बन्ध्यत्व, सूतिका
४५०९ पिप्पल्यादि वर्तिः योनिस्राव नाशक रोग।
तथा योनि शोधक। ३६१३ नष्ट पुष्पान्तक रसः नष्टार्तव, योनिदाह, ।
४५१० पुनर्नवामूलधारणम मूढगर्भ ।
४७६३ बदरीमूल योगः स्तन्य वर्द्धक, स्तयोनिक्लेद ।
न्यकृमि नाशका ४४१९ पुत्रप्रदो रसः
४७६७ बस्त मूत्रादि , बन्ध्यत्व । ४४४२ प्रतापलकेश्वर रसः प्रसूतिवात, दन्तब- |
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