Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 767
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [७७२] चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण | संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण रस-प्रकरणम् ४४११ पिप्पल्यादि लोहम भयंकर हिचकी, छ दि तथा तृष्णा ३ ४३८७ पारदादि रसः खांसी,श्वास, शूल । दिनमें अवश्य शान्त ४३९० पारदादि वटी हो जाती है। मंदाग्नि, अफारा । । ४४६९ प्रवाल प्रयोगः हिक्का । __ (६०) हृद्रोगाधिकारः कषाय प्रकरणम् घृत-प्रकरणम् २८४० दशमूलादि काथः हृद्रोगनाशक | ३०५५ दाडिमाद्यं घृतम् हृद्रोग, पाण्डु, शूल। ३३५१ नागर काथः अग्निमांद्य, शूल, । ३०७२ द्राक्षादि , पित्तज हृद्रोग । हृदोग, वायु । ३८६० पुष्करादि कल्कः वातज हृद्रोग । तैल-प्रकरणम् ३८६१ , काथः हृदोग । | ४१३१ पुनर्नवाथं तैलम् वातज हृद्रोग । चूर्ण-प्रकरणम् __ आसवारिष्ट-प्रकरणम् २९५३ दाडिमादि चूर्णम् हृद्रोग, श्वास, अ- ४१५० पार्थावरिष्टः हृदय और फेफड़े के पतन्त्रक। समस्त रोग । ३४१६ नागबला , " " " ३९२० पाठादि , हृद्रोग, गुल्म, शूल। रस-प्रकरणम् ३९६९ पिप्पल्या , वातज हृद्रोग। ३६३४ नागार्जुनाभ्र रसः द्रोग, छर्दि, अरु३९७१ पिप्पल्यायो योगः हृच्छूल, कष्ट साध्य चि, हल्लास, ज्वर। हृद्रोग ४२६८ पञ्चसारो रसः पित्तज हृद्रोग । ३९८२ पुष्कर मूलचूर्णम् हृच्छूल, श्वास,हिक्का। | ४४५२ प्रभाकर वटी हृदोग । - For Private And Personal Use Only

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