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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी [७६९] - संध्या प्रयोगनाम मुरुप गुण । संख्या प्रयोगनाम लेप-प्रकरणम् ३५४७ निशादि लेपः स्तनमूलकी तीव्र पीड़ा । | ४४४८ प्रदरान्तक लोहम् ४१६० पश्चकोलादि ,, स्तन्य शोधक । ४१७३ पत्रकादि , रक्त प्रदर, योनि दाह । ४४४९ प्रदरान्तको रसः ४१७७ परूषकादि , मूढगर्भ। ४४५० प्रदरारि , ४१७८ पलाशफलादि , योनिकी शिथिलता। ४४५१ , लोहम् ४१७९ पलाशबीज , गर्भरोधक । ४१८३ पाठादि , सुखपूर्वक, प्रसव करा देता है। ४४५५ प्रमदानन्दा रसः ४९१४ भूस्तृणादियोनि ,, बल वीर्यवान सुन्दर पुत्रोत्पादक। | ४७५२ बोलपर्पटी , मुख्य गुण न्ध, भयङ्कर सन्निपात, अतिसार । लाल, सफेद, पीला तथा काला दुस्साध्य प्रदर, योनिशूल कटिशूल। असाध्य प्रदर । दुस्साध्य प्रदर। श्वेत, लाल, काला और पीला दुस्साध्य प्रदर, कटिशूला समस्त जरायुरोग । रक्तप्रदर, रक्तार्श । मिश्र-प्रकरणम् धूप-प्रकरणम् ३५६३ निम्बकाष्ठ धूपः गर्भरोधक । ३३३७ धत्तूरमूल योगः गर्भरोधक । रस-प्रकरणम् ३६७१ नागरादि , वातज प्रदर । ३२१९ द्रुतिसार रसः बन्ध्यत्व, सूतिका ४५०९ पिप्पल्यादि वर्तिः योनिस्राव नाशक रोग। तथा योनि शोधक। ३६१३ नष्ट पुष्पान्तक रसः नष्टार्तव, योनिदाह, । ४५१० पुनर्नवामूलधारणम मूढगर्भ । ४७६३ बदरीमूल योगः स्तन्य वर्द्धक, स्तयोनिक्लेद । न्यकृमि नाशका ४४१९ पुत्रप्रदो रसः ४७६७ बस्त मूत्रादि , बन्ध्यत्व । ४४४२ प्रतापलकेश्वर रसः प्रसूतिवात, दन्तब- | For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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