Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी
[७६७]
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प्रात
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य भुज
तथा सन्निपातज ३९१५ पलाशादिचूर्णम् योनिकी दुर्गन्ध, सूतिका रोग।
पिच्छिलता, क्लेद। ३८४२ पुत्रकमारी योगः इसके सेवनसे पुत्र | ३९३२ पारायत पुरीष योगः गर्भवतीका रक्तस्राव।
प्राप्ति होती है। ३९३५ पार्श्वपिप्पलादियोगः पुत्रोत्पादक। ३८७१ पृश्निपर्ष्यादिनियूहः गर्भिणीका रक्तपित्त । ३९५५ पिप्पल्यादिचूर्णम् गर्भरोधक ।
कामला, शोथ, | ३९५९ , , बन्ध्यत्व
श्वास, खांसी, ज्वर । ३९८५ पुष्यानुग चूर्णम् । रक्तप्रदर, योनिदोष, १५२० फलत्रिकादि काथः सन्निपातज रक्त
रजोदोष, प्रसूतरोग, प्रदर।
योनिस्राव । ४५४७ बलादि कल्कः रक्तप्रदर । ४६०९ बदस्चूर्ण योगः । प्रदर । ४५५० , , पित्तज प्रदर। ४६१५ बलादि चूर्णम् रक्त प्रदर । ४५८४ बिल्वादि काथः योनिशूलको तुरन्त ४६१७ , , इसके प्रभावसे पुत्र नष्ट करता है।
प्राप्त होता है। ४५८५ ,
गर्भिणीके वातज रोगा ४६१८ , , बन्ध्यत्व निवारक ।
४८४१ भूमिकुष्माण्डादि चूर्ण-प्रकरणम्
योगः स्तन्यवर्द्धक,पौष्टिका ३२७० धातकीपुष्पादियोगः बन्ध्यत्व । ४८४२ भूम्यामलक्यादि ३२७४ धात्रीयोगः रक्तप्रदर ।
चूर्णम् २-३ दिनमें ३२७७ धात्र्यादियोगः पुराना बन्ध्यत्व ।
भयङ्करप्रदर नष्ट हो ३४१३ नागकेसर योगः इसके सेवनसे स्त्री
जाताहै। वीर पुत्रको जन्म देती है।
गुटिका-प्रकरणम् ३४१४ , , श्वेत प्रदर । ३४१५ नागकेसरादियोगः गर्भस्थापकः । ४६४४ बोलवटिका
क्षय, पाण्डु, प्रसूत ३४४६ नीलाब्जकन्द योगः गर्भपातजनित विकार ३४४८ नीलोत्पलादिचूर्णम् प्रदर ।
अवलेह-प्रकरणम् ३९११ पद्मबीजााद योगः स्तनोंको दृढ़ करता ४०१४ पश्चजीरकगुडः प्रसूतरोग,योनिरोग,
शरीरकी दुर्गन्धि
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