Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 760
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [७६५] संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण लेप-प्रकरणम् रस-प्रकरणम् ३१५३ दोषघ्न लेपः हर प्रकारका शोथ। ३२१२ दुग्ध वटी अनेक प्रकारका शोथ, पाण्डु का३१५६ द्विनिशादि लेपः आगन्तुक तथा र मला। क्तज शोथ । | ३२१३ ॥ अनेक प्रकारका ४१६५ पटोलादि , पित्तज शोथ । शोथ, ग्रहणी, वि४१९७ पुनर्नवादि , कफवातज शोथ । षम ज्वर, मन्दाग्नि, सर्व प्रकारके शोथ। पाण्डु। ४७१२ बिभीतकादि, शोथकी दाह, पीड़ा। ३२१४ , , शोथ, संग्रहणी, जीर्णज्वर,अतिसार। ४९०४ भल्लातकशोथान्तक ४२९३ पश्चामृत रसः जलदोष जन्य भयलेपः भिलावेकी सूजन। । कर शोथ, जलोद४९०५ , " " " र तथा ज्वरातिसार युक्त शोथ। गुग्गुलुः . (५५) श्लीपदाधिकारः कषाय-मकरणम् घृत-प्रकरणम् ३८०१ पलाशमूल स्वरसः श्लीपद ३०३४ दन्ती घृतम् . दुस्साध्य श्लीपद। ३८६५ प्रतिकरारस योगः ॥ ३२९४ धात्र्यादि घृत चूर्ण-प्रकरणम् कठोर श्लीपद, स३९३८ पिण्डारक बन्धूक निपातज गण्डमाला, भयकर श्लीपद । पुराना शोथ । ३९५२ पिप्पल्यादिचूर्णम् श्लीपद, वातव्याधि ४६१४ बलादि , असाध्य श्लीपद । ३३१२ धत्तूरादि लेपः दुस्साध्य पुराना गुग्गुलु-प्रकरणम् स्लीपद १०१० पथ्यादि गुग्गुलः श्लीपद योगः भय लेप-प्रकरणम् For Private And Personal Use Only

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