Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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[७५४]
चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
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संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण लेप-प्रकरणम्
| ४७१८ ब्रह्मदण्डी योगः स्फुटित गण्डमाला । ३१३६ दन्तीमूलादि लेपः प्रन्थिको फाडता ४९०९ भल्लातकादि लेपः गण्डमाला ।
३१३७ दन्त्यादि
,
३१५० देवदादि , ३५३४ निचुलादि , ४१८२ पलाशादि "
पक्व और शोथ
नस्य-प्रकरणम् युक्त अन्तर विद्रधि । ३५९६ निर्गुण्डीमूलनस्यम् गण्डमाला । कफज गलगण्ड । गलगण्ड । ।
मिश्र-प्रकरणम् "
४५१५ पूपलिका योगः अपची ।
(४६) विषाधिकारः कषाय-प्रकरणम्
घृत-प्रकरणम् ३२३५ धत्तूरयोगः उन्मत्त कुत्तेका | ३४७४ नागदन्त्याचं घृतम् कीटविष, मूलविष,
गरविष । विष । ३४०४ नीलनीमूल कल्कः मण्डलीक सर्पका विष ।
तैल-प्रकरणम् ३८५५ पुनर्नवा योगः एकबार सेवन कर- ३१०५ दीपतैलाभ्यङ्गः कानखजूरेका विष।
नेसे १ वर्ष तक सर्प और बिच्छू
लेप-प्रकरणम् नहीं काटता। ३१५७ द्विनिशादि लेपः दन्त और नखविष ।
३५३० नवसादरादि , बिच्छूका विष । चूर्ण-प्रकरणम्
४१६३ पश्चशिरीष , समस्त प्रकारके ३९७० पिप्पल्यायोऽगदः दूषी विष।
विष । ३९७५ पुत्रजीवमज्जायोगः उग्र दूषी विष ।
४१८० पलाशबीजादि , बिच्छूका विष । ४६३१ बिल्व प्रयोगः मूषक-विष । ४१९१ पिण्डीतगरमूल
योगः . सर्पदंशपर लेप
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