Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 755
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [७६०] चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण और शंख प्रदेशकी | ३५२१ नीलोत्पलादि तैलम् शिरपीड़ा, पलित । पीड़ा; आधासीसी। ४१३५ प्रपौण्डरीकार्य , समस्त शिरोरोग । ४६८७ बलाचं यमकम् समस्त ऊर्ध्व जनतैल-प्रकरणम् गत रोग (नस्य)। ४८९१ भृङ्गराज तैलम् भयङ्कर शिरशल, ३०८३ दशमूल तैलम् कफज, सन्निपातज शंखक, आधाशीतथा वातकफज भ शी, भौंका बर्द। यहर शिरशूल, मे- ४८९२ , पलित। ऋशूल। ४८९३ इन्द्रलुप्त । ३०८४ , " कफवातज शरोरोग ४८९४ पलित। ३.८७ सन्निपातज , ४८९६ दारुण, पलित, ३०८८ पातकफज शिरोरो इन्द्रलप्त, कण्डू। ग, शोथ, मन्या- ४८९९ बालोंका गिरना,शिस्तम्भ । रशूल, मन्यास्तम्भ, वातज, पित्तज तथा खालिस्य, दारुण। कफज शिरशूल, ४९०० , " दारुणको नष्ट और सूर्यावर्त, जलदोषज बालों को काले, घने शिरोरोग। आर धुंघराले कर३११७ द्विहरिद्रायं तैलम् अरुषिका । ३३०७ धुस्तूर , शिरशूल, दाह, स लेप-प्रकरणम् न्निपातज्वर । ३५०७ निम्बतैलप्रयोगः इसकी नस्यसे बहुत ३१४४ दाादि लेपः शंखक । पुराना पलित रोग ३१७९ देव दादि , शिरपीड़ा । नष्ट हो जाता है। ३३१४ धात्री कसेरवादि, पित्तज शिरपीड़ा, नकसीर । ३५०८ निम्बबीजतैलम् पलित रोगको समूल ३३१५ धात्रों फलायो , दारुण। नष्ट करता है (नस्य) ३३१९ धाश्यादि लेपः पलित । ३५१५ निर्गुण्ड्यादि , समस्त शिरशूल। ३५३६ निम्ब जलादि , अरूंषिका । ३५२० नोली तैलम् पलित । । ३५५२ नीलाब्ज केसरादि, दारण। For Private And Personal Use Only

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