Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी
[७५९] संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण ३५३७ निम्बदलादि लेपः व्रण शोधक,रोपण ।
धूप-प्रकरणम् ३५३८ निम्बपत्र प्रयोगः
३५६६ निम्बादि धूपः व्रणके कृमि, कण्डू, ३५३९ निम्बपत्रादि योगः
पीडा ॥ ॥
| ३५७० निर्गुण्ड्यादि धूपः दुष्ट पीडायुक्त ३५४० " " " "
विषमव्रण, भगन्दर। ३५४१ , , , " ३५४३ निम्बादि लेपः व्रणके कृमि ।
रस-प्रकरणम् ३५६१ न्यग्रोधादि , व्रणशोथ। ३१९२ दरद गुटिका नाडीव्रण, धावसे रक्त ४१८६ पारदादिमलहरम् व्रणरोपण।
या मवाद आना,
घाव के कृमि, विच४१८७ , , व्रण शोधक, रोपण,
र्चिका, पुराना घाव नाडीव्रणनाशक ।
इत्यादि। ४१९६ पुत्रजीवकादि लेपः वेदनायुक्त काले फोड़े, विषैले फोड़े, कक्षा
मिश्र-प्रकरणम् प्रन्थि, गलेकी गांठ। ३६८२ निम्बादि वर्ति : शोधन रोपण। ४७२० ब्राह्मयादि लेपः व्रणके स्थानपर बाल । ४५१७ प्रतिसारणीय क्षार : व्रणको फोड़ता है। उगाता है। ४७६२ बदरीफल त्वगादि
नाड़ी व्रण ।
वर्तिः
(५१) शिरोरोगाधिकारः कषाय-प्रकरणम्
गुग्गुलु-प्रकरणम् ३२५१ धात्र्यादि काथः भूशूल, शाकशूल, २४
| ३४६१ निम्बादि गुग्गुलः वातकफज भयङ्कर
शिरपीड़ा । अविभेदक, सूर्यावर्त तथा नेत्ररोग।
घृत-मकरणम् | ३०६६ देवदादि घृतम् शिर, भू, ललाट
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