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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [७५९] संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण ३५३७ निम्बदलादि लेपः व्रण शोधक,रोपण । धूप-प्रकरणम् ३५३८ निम्बपत्र प्रयोगः ३५६६ निम्बादि धूपः व्रणके कृमि, कण्डू, ३५३९ निम्बपत्रादि योगः पीडा ॥ ॥ | ३५७० निर्गुण्ड्यादि धूपः दुष्ट पीडायुक्त ३५४० " " " " विषमव्रण, भगन्दर। ३५४१ , , , " ३५४३ निम्बादि लेपः व्रणके कृमि । रस-प्रकरणम् ३५६१ न्यग्रोधादि , व्रणशोथ। ३१९२ दरद गुटिका नाडीव्रण, धावसे रक्त ४१८६ पारदादिमलहरम् व्रणरोपण। या मवाद आना, घाव के कृमि, विच४१८७ , , व्रण शोधक, रोपण, र्चिका, पुराना घाव नाडीव्रणनाशक । इत्यादि। ४१९६ पुत्रजीवकादि लेपः वेदनायुक्त काले फोड़े, विषैले फोड़े, कक्षा मिश्र-प्रकरणम् प्रन्थि, गलेकी गांठ। ३६८२ निम्बादि वर्ति : शोधन रोपण। ४७२० ब्राह्मयादि लेपः व्रणके स्थानपर बाल । ४५१७ प्रतिसारणीय क्षार : व्रणको फोड़ता है। उगाता है। ४७६२ बदरीफल त्वगादि नाड़ी व्रण । वर्तिः (५१) शिरोरोगाधिकारः कषाय-प्रकरणम् गुग्गुलु-प्रकरणम् ३२५१ धात्र्यादि काथः भूशूल, शाकशूल, २४ | ३४६१ निम्बादि गुग्गुलः वातकफज भयङ्कर शिरपीड़ा । अविभेदक, सूर्यावर्त तथा नेत्ररोग। घृत-मकरणम् | ३०६६ देवदादि घृतम् शिर, भू, ललाट For Private And Personal Use Only
SR No.020116
Book TitleBharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
PublisherUnza Aayurvedik Pharmacy
Publication Year1928
Total Pages773
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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