Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 722
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [७२७] - संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण ३९७३ पीतक चूर्णम् मसूढ़ों के समस्त तैल-प्रकरणम् रोग, कण्ठरोग, मुख | ३०९२ दशमूलादि तैलम् दातांका हिलना, करोग, जिहारोग, ता राल, दन्तहर्ष, कपालरोग। ली, सौषिर। ३५१९ नीलसहचराद्यं , दांतांका हिलना । ४६८० बकुलाचं , " " गुटिका-प्रकरणम् ४८४७ भद्रमुस्तादि वटिका दांतोंका हिलना। रस-प्रकरणम् ३२२१ द्विजरोपणी वटी समस्त दन्तरोगोंको अवलेह-प्रकरणम् नष्ट और दांतोंको ३०२२ दाळवलेहः दांतोंकी निर्बलता, दृढ़ करती है। मसूढोके व्रण। मिश्र-प्रकरणम् घृत-प्रकरणम् | ४७६० बकुल-प्रयोगः दांतोंका हिलना । ४१०७ प्रपौण्डरीकाचं घृतम् शीताद । ४७६१ बकुलबीज चर्बणम् , " (२६) दाहाधिकारः कषाय-प्रकरण रस-प्रकरणम् २८७४ दाहप्रशमन महाक | ३२०४ दाहान्तको रसः दाह, सन्ताप, मूर्छा पायः दाह (चरकोक्तयोग) या४३८१ पारदादि गुटिका दाह ३७१४ पटीरादि काथः प्रबल दाह। - लेप-प्रकरणम् मिश्र-प्रकरणम् ३५४२ निम्बकेन लेपः दाह, तृषा, मोह। । ३३४५ धान्याम्ल सेकः अङ्गदाह For Private And Personal Use Only

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