Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
चिकित्सा-पय-मदर्शिनी
[७२५]
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण । संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुम ४२८१ पश्चामृत पर्पटी समस्त प्रकारके | ४४३९ प्रतापमार्तण्डोरसः ज्वर
ज्वर, खांसी, क्षय, । ४४४१ प्रतापलद्देश्वररसः सन्निपातकी बेहोशी, संग्रहणी, अशे ।
क्षय, पाण्डु । ४३०९ पर्णखण्डेश्वरः वातकफज ज्वर ।
४४४४ प्रतापाग्निकुमाररसः सन्निपात । १३१० पर्पटी रसः ज्वर, ग्रहणी, क्षय,
४४४५ प्रतिज्ञावाचकोरसः समस्त ज्वर । श्वास, कफ, स्वर
४४८० प्राणेश्वरो रसः भंग , (बच्चोंके
शीतज्वर । लिये. विशेष उप
४४८२ योगी तथा अनुपान
"
नवीन तीब्रज्वर, स"
न्निपात,दाहपूर्वञ्चभेदसे अनेक रोग
र, ज्वरका प्रचण्ड नाशक है।)
ताप, शूल। ४३११ पर्पटी रसः
कफ, वायु, मति- ४७४५ बालार्क रसः ज्वरको १ ही दि( मल्लपर्पटी) भ्रम । ( ज्वरके
नमें नष्ट कर देता वेगको रोकती है) ४३३१ पानीय वटिका सन्निपात ज्वरकी
४७५६ ब्रह्मवटी समस्त प्रकारके समूर्छा, जीर्णज्वर,
न्निपात । खांसी, श्वास। ४९४४ भस्मेश्वर चूर्णम् सन्निपात । ४३३२ पानीय वटिका भयङ्कर सन्निपात, ४९४५ भानुचूडामणिरसः । समस्त ज्वर । ( सिद्धफला ) दाह, खांसी, श्वास,
४९५० भिषमा रसः ॥ " मलावरोघ । (स्वेद
| ४९५७ भूतनाथ भैरव रसः , "
जनक है।) | ४९५८ भूतभैरव चूर्णम् शीत ज्वरको १ दि४४१५ पीयूषपन रसः समस्त ज्वर ।
नमें ही नष्ट कर ४४११ , , शीतज्वर, उष्ण
देता है। ज्वर, एकाहिक, १९६७ भैरव रसः ज्वर, क्षय, खांसी, चातुर्थिक, शूल,
श्वास, अग्निमांध । अग्निमांद्य । ४९७० भैरवसिद्धि रसः भयङ्कर सन्निपात । ५५३७ प्रचण्ड रसः
नवीन ज्वर । | ४९७१ भैरवी गुटिका १४३८ प्रतापतपनो रसः सन्निपात । ।
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773