Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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चिकित्सा-पथ-प्रदाशनी
[७२३]
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लेप-प्रकरणम्
" विसर्प ।” पर
बेचैनी।
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण ३०६२ दुरालभाचं घृतम् ज्वर, दाह, भ्रम,
आसवारिष्ट-प्रकरणम् खांसी, पसली शूल, । ३३१० धान्यकाचरिष्टः समस्त प्रकारके तृष्णा, छर्दि, अति
ज्वर। सार । ४०४९ पञ्चगव्यं घृतम् विषम ज्वर । ४०५२ पञ्चतिक्तकं , , , पाण्डु, ३१३५ दध्यादि लेपः सन्निपातकी दाह ।
३५३१ नागरादि , सन्निपातमें होने ४०७८ पानीयकल्याणक , ज्वर, खांसी, अग्नि
वाली गलेको सूजन। मांद्य, क्षय, प्रति- ३५४८ निशादि ,, कर्णमूल । श्याय, तिजारो, चौ- ४१८१ पलाशादि , पित्तञ्चर, तृषा, दाह,
थिया,वमन इत्यादि ४०८७ पिप्पल्याचं , जीर्णज्वर,क्षय,खांसी, ४७०२ बदर्यादि , रुग्दाह सन्निपात ।
शिरशूल,पार्श्वशूल। ४७१४ बीजपूरकमूलादि ४१०२ पुनर्नवाचं , विषमज्वर, खांसी,
लेपः गलेकी सूजन । क्षय।
धूप-प्रकरणम् तैल-प्रकरणम्
३५६४ निम्बादि धूपः विषमज्वर । ३०८५ दशमूल तैलम् सन्निपात, श्वास, | ३५६८ निर्गुण्ड्यादि , सन्धिगत ज्वर ।
भयङ्कर खांसी।
३५६९ , , ग्रह और सन्निपात ४१११ पटोलादि , ज्वर, खांसी वातज
ज्वर। रोग।
४२१४ पलङ्कषादि , ज्वर । ४११२ , स्नेहः ज्वर । ४११४ पाक तैलम् ज्वर, तृष्णा, दाह।
अञ्जन-प्रकरणम् ४१४६ प्रह्लादन , ज्वर, दाह ।
। ३५८६ निशाद्यञ्जनम् विषमज्वर । ४६८२ बला , खांसी, श्वास, ज्वर, ४२३५ पिप्पल्याद्यञ्जनम् भूतज्वर ।
छर्दि, शूल, हिक्का, ४२४५ प्रचेतानामगुटिका ज्वरकी मूर्छा ।
क्षय, प्लीहा, शोष । ४९२९ भैरवाञ्जनम् उपद्रव सहित स४६८६ बलायं , वातपित्तज जीर्णज्वर
मस्त ज्वर।
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