Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
[७३८]
चिकित्सा-पथ-प्रदशिनी
-
संख्या प्रयोगनाम मुख्य गुण
गुटिका-प्रकरणम् ४००३ पियालादि मोदकः पौष्टिक ।
संख्या प्रयोगनाम | ४६६४ बालचाङ्गेरी घृतम्
मुख्य गुण अतिसार, कष्टसाध्य संग्रहणी।
अवलेह-प्रकरणम्
तैल-प्रकरणम् ३२८३ धातक्याघवलेहः
ज्यरातिसार, छाद।। ३०८१ दशनफलादि तैलम् बालकांके शिरारोग
चरातिसार, छर्दि। ३४६५ नागरादि लेहः खांसी, कफज | ३०९४ दशमलाचं
उन्माद, अपस्मार, छर्दि।
ग्रह । ३४६८ निशाधवलेहः खांसी, छर्दि।।
। निशादि
नाभिपाक। ४६४७ बालकुटजावलेहः रक्तातिसार, आमशूल ४११७ पयस्याद , पूतनाग्रह ।
| ४६९४ बिभीतकाचं , पूतिकर्णरोग । घृत-प्रकरणम्
४९०१ भृङ्गादि , मुखमण्डिका । ३४७८ नागराधं धृतम् खांसी, श्वास, अपतन्त्रक।
लेप-प्रकरणम् ४०६६ पथ्याचं , गुल्म, अफारा, | ३५२६ नरास्थि लेपः कुकणक ।
गुदभ्रंश, श्वास, ३५५७ न्यग्रोधादि , दाह लाली और खांसी, विलम्बिका।
वेदना युक्त विसर्प। ४०७३ पाठायं घृतम् बुद्धि, स्मृति, रूप ४२०६ प्रपौण्डरीकादि , विसर्प ।
और बल वर्द्धक। ४२१३ प्लक्षाधो , त्वग्दोष, रक्तविकार, ४०७४ , , अग्निमांद्य, कृमि,
चकते, विस्फोटक। अतिसार, पाण्डु, गुल्म, शोथ।
धूप-प्रकरणम् ४०७६ , , मिट्टी भक्षणसे उ. | ३१५९ दशाङ्ग धूपः ग्रहदोष ।
त्पन्न हुवे विकार ।। ४२१५ पलङ्कषादि धूपः ज्वरके वेगको घ. ४०८९ पिप्पल्याचं , दूध पीकर वमन
टाती है। कर देना तथा अ. ४२१६ पारिभद्रादि धूपः समस्त ग्रहदोष । पानवायुके साथ ४२१७ पुरीषादि , पूतनाग्रह ।
दस्त आना। ४२१८ पूतिकरादि, समस्त ग्रहदोष । ४०९३ " "
दन्तोद्भदरोग।
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773