Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
संख्या प्रयोगनाम
कषाय-प्रकरणम्
कषाय-प्रकरणम्
२९११ द्राक्षादि काथः
ܕܪ
२९२५ क्षीरम् २९३४ द्राक्षाहरीतकीयोगः ३२६३ धान्यकादिहिमः
३७२८ पटोलादि काथः
३७८६ पद्मकादि ३७८९ पद्मोत्पलादिकाथः
"
२९८२ द्राक्षादि चूर्णम्
चिकित्सा - पथ-प्रदर्शिनी
मुख्य गुण | संख्या प्रयोगनाम
(३९) रक्तदोषाधिकारः
३४४९ नीलोत्पलादि योग: ३८९२ पत्रादि चूर्णम्
रक्तपित्त,
खांसी |
(४०) रक्तपित्ताधिकारः
www.kobatirth.org
३८७५ प्रियङ्गुकादिकषायः रक्तपित्त ।
४५५८ बलासिद्ध क्षीरम्
रक्तपित्त । रक्तपित्त, जीर्णज्वर ।
चूर्ण-प्रकरणम्
रक्तपित्त, ज्वर, दाह, तृष्णा, शोष ।
रक्तपित्त ।
श्वास,
""
भयङ्कर रक्तपित्त ।
17
नाक, मुंह, गुदा, योनि, लिंग आदिसे होनेवाला रक्त
स्राव; रक्तातिसार,
रक्तप्रदर, रक्ता । रक्तपित्त ।
रक्तपित्त, दाह, ज्वर, खांसी, क्षय; मुंह
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
| ३३८२ निम्बस्वरसपानम् सर्वदोषजरक्तविकार ।
३८९३ पथ्याचूर्ण योगः ३९८७ पृथ्वीका योगः
४०२२ पलाशवृन्त योगः
गन्ध आना ।
३९९० प्रियवादिचूर्णम् हरप्रकारका रक्तपित्त,
शस्त्राघातका रक्त
स्राव ।
३०६५ दूर्वाचं घृतम्
३०७३ द्राक्षादि
४०७१ पलाश
For Private And Personal Use Only
अवलेह -प्रकरणम्
घृत-प्रकरणम्
[ ७४३]
मुख्य गुण
"
या मूत्रमार्ग अत्य
धिक रक्तस्राव होना।
37
रक्तपित्त । स्वासमें लोहको और
उद्गारमें धुर्वेकी
रक्तपित्त ।
हर
रक्तपित्त,
वमन ।
प्रकारका रक्तकी
रक्तपित्त, ज्वर, रक्त
प्रमेह |
रक्तपित्त ।
Loading... Page Navigation 1 ... 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773