Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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संख्या
प्रयोगनाम
रस-प्रकरणम्
३६६४ नृपतिवल्लभ रस:
४३०० पश्चामृतलोह -
मण्डूरम्
४६२४ पानीयभक्तवटी
(मध्यम)
२८९३ दूर्वादियोगः ३२५५ धात्र्यादि योगः
३३९६ निम्बादि प्रयोगः ३७९२ परूषकादि योगः ३७९४ पर्पटादि काथः ४५७७ बिल्वादि
33
मुख्य गुण
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चिकित्सा - पथ-- प्रदर्शिनी
संख्या
प्रयोगनाम
४३८८ पारदादि वटी
४३८९
ग्रहणी, अतिसार,
आम, अग्निमांद्य,शू
ल, अफारा, विसूचिका आदि ।
कषाय-प्रकरणम्
शोथयुक्त पुरानी संग्रहणी, पाण्डु, जीर्णज्वर ।
कष्टसाध्य संग्रहणी,
अग्निमांद्य,
शोथ,
अरुचि ।
पित्तज छर्दि ।
त्रिदोषज
39
(२१) छधिकारः
वमन ।
छर्दि, तृषा ।
छार्द, पित्तज्वर । त्रिदोषज और पित्तछर्दि । ४५९१ बीजपूरादिपुटपाकः सर्व दोषज भयङ्कर छर्दि । ४८१३ भृष्टमुद्गादिकषायः छर्दि, अतिसार, दाह, ज्वर ।
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४४१७ पीयूषवल्ली रसः
४४२८ पूर्ण कला वटी
19 39
४४३५ पोटली रसः
४७७१ बिल्वयोगः
४७७३ बिल्वादि योग:
19
३८९४ पथ्यादि चूर्णम्
३८९६
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मिश्र-प्रकरणम्
39
"
संग्रहणी |
चूर्ण-प्रकरणम्
४०६८ पद्मकाद्यं घृतम्
ग्रहणी, शूल,
अतिसार ।
मुख्य गुण
पुरानी संग्रहणी, स
मस्त अतिसार, आम
ग्रहणी, दाह, शूल,
ज्वर ।
त्रिदोषज संग्रहणी ।
ग्रहणी
"9
[ ७१५]
अवलेह-प्रकरणम्
३०१३ दधित्थ रसादिलेहः छर्दि ।
३२८६ धात्रीरसादि योग:
३२८९ धान्यकादि लेहः ४६५२ बीजपूरकादि
घृत-प्रकरणम्
त्रिदोषज छर्दि । छर्दि ।
शोथ,
"
वातज छर्दि ।
21
"
छर्दि, तृष्णा, अरुचि, दाह ।
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