Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

View full book text
Previous | Next

Page 710
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra संख्या प्रयोगनाम रस-प्रकरणम् ३६६४ नृपतिवल्लभ रस: ४३०० पश्चामृतलोह - मण्डूरम् ४६२४ पानीयभक्तवटी (मध्यम) २८९३ दूर्वादियोगः ३२५५ धात्र्यादि योगः ३३९६ निम्बादि प्रयोगः ३७९२ परूषकादि योगः ३७९४ पर्पटादि काथः ४५७७ बिल्वादि 33 मुख्य गुण www.kobatirth.org चिकित्सा - पथ-- प्रदर्शिनी संख्या प्रयोगनाम ४३८८ पारदादि वटी ४३८९ ग्रहणी, अतिसार, आम, अग्निमांद्य,शू ल, अफारा, विसूचिका आदि । कषाय-प्रकरणम् शोथयुक्त पुरानी संग्रहणी, पाण्डु, जीर्णज्वर । कष्टसाध्य संग्रहणी, अग्निमांद्य, शोथ, अरुचि । पित्तज छर्दि । त्रिदोषज 39 (२१) छधिकारः वमन । छर्दि, तृषा । छार्द, पित्तज्वर । त्रिदोषज और पित्तछर्दि । ४५९१ बीजपूरादिपुटपाकः सर्व दोषज भयङ्कर छर्दि । ४८१३ भृष्टमुद्गादिकषायः छर्दि, अतिसार, दाह, ज्वर । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४४१७ पीयूषवल्ली रसः ४४२८ पूर्ण कला वटी 19 39 ४४३५ पोटली रसः ४७७१ बिल्वयोगः ४७७३ बिल्वादि योग: 19 ३८९४ पथ्यादि चूर्णम् ३८९६ For Private And Personal Use Only मिश्र-प्रकरणम् 39 " संग्रहणी | चूर्ण-प्रकरणम् ४०६८ पद्मकाद्यं घृतम् ग्रहणी, शूल, अतिसार । मुख्य गुण पुरानी संग्रहणी, स मस्त अतिसार, आम ग्रहणी, दाह, शूल, ज्वर । त्रिदोषज संग्रहणी । ग्रहणी "9 [ ७१५] अवलेह-प्रकरणम् ३०१३ दधित्थ रसादिलेहः छर्दि । ३२८६ धात्रीरसादि योग: ३२८९ धान्यकादि लेहः ४६५२ बीजपूरकादि घृत-प्रकरणम् त्रिदोषज छर्दि । छर्दि । शोथ, " वातज छर्दि । 21 " छर्दि, तृष्णा, अरुचि, दाह ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773