Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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घृतप्रकरणम]
तृतीयो भागः।
[३४९]
जड़ । सब चीजें समान-भाग-मिश्रित २० तोले । (४०७६) पाठायं घृतम् (४) लेकर पानीके साथ पीस लें।
(वा. भ. । उ. अ. २ बालरो.) __ यह कल्क, २ सेर घी, २ सेर दुध और पाठाबेल्लद्विर्जनीमुस्तभाीपुनर्नवैः । ८ सेर अनारका रस लेकर सबको एकत्र मिला- | सबिल्वत्र्यूषणैः सर्पिवृश्चिकालीयुतैः शृतम् ॥ कर मन्दाग्नि पर पकावें और दूधमात्र शेष रहने | लिहानो मात्रया रोगैमुच्यते मृत्तिकोभवैः॥ पर छान लें।
काथ-पाठा, बायबिडंग, हल्दी, दारुहल्दी, इसे पिलानेसे बालकोंके अग्निमांद्य, कोष्ठके नागरमोथा, भरंगी, पुनर्नवा (बिसखपरा), बेलकी कृमि, अरुचि, अतिसार, पाण्डु, गुल्म, शोथ,
छाल, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और वृश्चिकाली।
सब चीजें समान-भाग-मिलित ४ सेर लेकर कूटकृशता, दीनता और स्वरभेद इत्यादि रोग शीघ्र
| कर ३२ सेर पानीमें पकावें । जब चौथा भाग ही नष्ट हो जाते हैं तथा उनके बल, वर्ण और
पानी शेष रह जाय तो छान लें। अग्निको वृद्धि होती है।
कल्क-उपरोक्त समस्त चीजें समान-भाग(४०७५) पाठायं घृतम् (३) मिलित १३ तोले ४ माशे लेकर पानीके साथ
(वा. भ. । चि. अ. ८) पीस लें। पाठगजमोदधनिकाश्वदंष्ट्रापञ्चकोलकैः।। विधि--काथ, कल्क और २ सेर घृतको सबिल्वैर्दधिचाङ्गेरीस्वरसे च चतुर्गुणे ॥ एकत्र मिलाकर पकावें । जब काथ जल जाय तो हन्त्याज्यं सिद्धमानाहं मूत्रकृच्छ्रे प्रवाहिकाम् ।
घीको छान लें। गुदभ्रंशातीदजग्रहणीगदमारुतान् ॥
यह घृत बालकोंको खिलाने से उनके मिट्ठी पाठा, अजमोद, धनिया, गोखरु, पीपल, |
खानेसे उत्पन्न हुवे रोग नष्ट होते हैं । पीपलामूल, चव, चीता, सांठ और बेलगिरि का
(४०७७) पाठाचं घृतम् (५)
(वं. से. । अतिसा.) समान-भाग-मिश्रित कल्क २० तोले तथा दही ४
पाठामसिविषां निम्बं समझा चन्दनं जलम् । सेर और चांगेरी (चूके) का स्वरस ४ सेर एवं घी
| धातकी मुस्तभूनिम्ब जटामांसी सनागराम् ॥ २ सेर लेकर सबको एकत्र मिलाकर पकावें । जब दावी च समभागानि घृतप्रस्थे विपाचयेत् । घृतमात्र शेष रह जाय तो उसे छान लें। सज्वरोऽस्मिनतीसारे ग्रहण्यां पाण्डुरोगिणि ॥
इसके पौनेसे अफारा, मूत्रकृच्छू, प्रवाहिका, | मूत्रकृच्छ्रे गुदस्रावे विधूच्यामलसे हितः॥ गुदभ्रंश, अर्श, संग्रहणी और वायुका नाश होता है। काथ-पाठा, अतीस, नीमकी छाल, मजीठ, ( मात्रा-१ तोला।)
चन्दन, सुगन्धवाला, धायके फूल, नागरमोथा,
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