Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy

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Page 702
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चिकित्सा-पथ-प्रदर्शिनी [७०७] (१५) कुष्ठाधिकारः संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण संख्या प्रयोगमाम मुख्य गुण कषाय-प्रकरणम् चूर्ण-प्रकरणम् २८६८ दादिकषायाष्टकम् कुष्ठ नाशक लेप, | २९७७ देवदाली प्रयोगः कुष्ठ । पान स्नानादिके योग। २९७८ , , पुराने कुष्ठको १ ३२५० धात्र्यादि काथः श्वित्र । मासमें नष्ट कर देता ३२५७ , स्वरसः कुष्ठको १५ दिनमें ___ नष्ट कर देता है। | २९७९ , , गलित कुष्ठको ३ ३३८३ निम्ब स्वरस मासमें नष्ट कर प्रयोगः कुष्ठ, शरीरकी क्षीणता। देता है। ३३८४ निम्बादि काथः कुष्ठ । २९९४ द्राक्षाचं चूर्णम् कुष्ठ । ३३९७ , महाकषायः कण्डू, उदुम्बर, पु ३४३८ निम्बपञ्चक चूर्णम् कुष्ठ, खांसी विष । ण्डरीक, अलसक ३४४२ निम्बादि चूर्णम् कण्डु, कुष्ठ, पिडिका। आदि कुष्ठ शीघ्र ३८८१ पञ्चनिम्बकं , कुष्ठ । नष्ट कर देता है। ३९०९ पथ्यायोगः कच्छू, पामा, शोथ। ३७१८ पटोलमूलादि योगः कुष्ठ, शोथ, विषम ३९२४ पाठायं 'चूर्णम् कुष्ठ, शोथ, कृमि, ज्वर। अर्श । ३७४५ पटोलादि काथः कुष्ठ। ४६२० बाकुचिकाद्यं चूर्णम् समस्त प्रकारके कुष्ठ। ३७६४ , गणः कुष्ठ, ज्वर, विष, ४८२५ भल्लातकाद्य , कुष्ठ । ४८३६ भूनिम्बादि , कुष्ठ, सुप्ति । ४५६० बाकुचिका प्रयोगः श्वेत कुष्ठ । ४५६१ बाकुची बीज योगः श्वेत कुष्ठ, पुण्डरीक | गुटिका-प्रकरणम् कुष्ठ। ३९९७ पथ्या वटकः गलितकुष्ठ; दुर्ग४७७८ भद्रोदुम्बरिकादियोगः , , न्धित राधवाला और १८०१ भूनिम्बादि कोथः समस्त धातुगत कु कृमियुक्त कुष्ठ । ष्ठ, वातरक्त, आम गुग्गुलु-प्रकरणम् वात,पिडिका, शोथ। | ३४५९ नवकषायगुग्गुलुः विसर्प, विष । वमन । For Private And Personal Use Only

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