Book Title: Bharat Bhaishajya Ratnakar Part 03
Author(s): Nagindas Chaganlal Shah, Gopinath Gupt, Nivaranchandra Bhattacharya
Publisher: Unza Aayurvedik Pharmacy
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रसपकरणम्
तृतीयो भागः।
[२३५]
हन्यादेव हि नागमुन्दररसो बल्लोन्मितः सेवितो। (३६३२) नागार्जुनचूर्णम् नानातीसरणं तथा गुदपरिभ्रंश तथातिविषम्॥
(र. च. । बालरो.) सीसा भस्म, शुद्ध पारा, अभ्रक भस्म और त्रिकटुवचयवानीगन्धपाषाणकुष्ठम्, शुद्ध गन्धक आधा आधा पल (२॥-२॥ तोले) सनिशरजनिपुष्पं जीरके काचकश्च । लेकर महीन कज्जली बना लीजिये । तत्पश्चात् कुलिरकनकबीजं तालसिन्धुं शिलाम, २ पल रालको पिघलाकर उसमें यह कजली वनजलशुनहिङ्गमूलमैशच टकम् ॥ मिलाकर खरल कीजिए और उसमें उसके बराबर
समनृपतिविडङ्ग तुल्यभागं गृहीत्वा, करा बीज, सेंधा, बच, सांठ, मिर्च, पीपली, सफेद
। शदि मसृणपिष्टं वस्त्रपूतं विधाय । जीरा, काला जीरा, हरे, भांग, और लोहभस्मका
ग्रहजनितगदानां क्षीरपाणां शिशूनां, समभागमिश्रित चूर्ण मिलाकर सबको बकायनकी
| शमयति जठरोत्थाजीर्णविष्टम्भकार्यम् ॥ छाल, बाबचीकी जड़, नागबला (गंगेरन) और
ज्वरसकलबलासारोचकाक्षिपदोषान् , गिलोयके रसकी ३-३ भावना देकर बेरकी गुठली
___ ग्रहजनितसमस्तातङ्कदोषविहाय । के समान गोलियां बना लीजिये ।
विपुलबलसुवर्ण स्थौल्यवह्नि प्रकुर्यात् इनके सेवनसे अनेक प्रकारके अतिसार और |
चिरमपि शिशवः स्युः सर्वरोगैर्विमुक्ताः ॥ गुदभ्रंशादि रोग नष्ट होते हैं।
सेठ, मिर्च, पीपल, बच, अजवायन, गन्धक, (३६३१) नागादिवटिका
कूठ, हल्दी करावा, सफेद जीरा, काला जीरा, (र. चं. । विष.)
काचनमक (कचलोना), काकड़ासिंगी, धतूरेके नागटङ्कणसंयुक्त लवङ्ग मरीचकम् । बीज, हरतालभस्म, सेंधा नमक, शुद्ध मनसिल, भृाराजरसेनेव सुचिरं दृढं मदयेत् ॥ नागरमोथा, ल्हसन, हींग, शिवलिंगीकी जड़ और राजीसमा वटी कृत्वा बालानां दापने क्षमा।। सुहागेकी खील १-१ भाग तथा अमलतास और दुग्धेन मधुना वाऽथ देयाऽसाध्यगदेष्वपि ॥ । बायबिडंग सबके बराबर लेकर सबके महीन कपड़अतिश्वासस्य शमनी भवेद्रोगविनाशिनी ॥ छन चूर्ण को एकत्र खरल करके रक्खें । ___ सीसाभस्म, सुहागेकी खील, लौंग और काली । यह चूर्ण दूध पीने वाले बच्चोंके ग्रहदोष, मिर्चका चूर्ण समान भाग लेकर सबको भंगरे के उदर विकार, अजीर्ण, कब्ज, कृशता, ज्वर, कफ रसमें बहुत देर तक खरल करके राईके बराबर विकार, अरुचि और नेत्ररोगोंको नष्ट करता है। गोलियां बना लीजिये।
इसके सेवनसे बच्चोंका शरीर हृष्ट पुष्ट, बलवान इन्हें शहद या दूधके साथ देने से बच्चोंका और सुन्दर होता है, पाचन शक्ति बढ़ती है तथा महा श्वास नष्ट होता है।
बच्चे रोगरहित दीर्घायु प्राप्त करते हैं।
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