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भगवती सूत्रे
પૃષ્ઠ
'तिविहा जोगनिव्त्रत्ती पन्नत्ता' त्रिविधा योगनिवृत्तिः प्रज्ञप्ता 'तं जहा' तद्यथा 'मणजोग निव्वत्ती' मनोयोगनिवृत्तिः 'वयजोग निव्वत्ती' वचोयोगनिवृत्तिः 'कायजोगवित्ती' काययोगनिवृत्तिः तथा च मनोवाक्काययोगनिवृतभेदात् योगनिवृतयस्तिस्रो भवन्तीति, केपामेता योगनिर्वृत्तयो भवन्ति तत्राह - ' एवं जाव' इत्यादि, ' एवं जात्र वैमाणियाणं जस्स जइविहो जोगो' एवं यावद्वैमानिकानाम् यस्य द्विधो-याशी योगः - मनोनिर्वृत्यादिभेदभिन्नो यस्य जीवविशेषस्य विद्यते तस्य जीवस्य तादृशी एव योगनिर्वृत्ति वक्तव्या इयं च योगनिवृत्तिः योगादिनिर्वृतिरूपा सामान्येन वैमानिकान्तजीवानां भवतीति | १८ | 'कविदा णं भंते' कतिविधा खलु भदन्त ! 'उवओोगनिव्वत्ती पन्नता' उपयोगहित्तिः प्रज्ञप्ता, उपयोगनिवृत्तेः कतिविधत्वमिति प्रश्नः, भगवानाह - 'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' गौतम | 'दुविहा उवओगनिव्बत्ती पन्नत्ता' द्विविधा - द्विमाकारिका उपयोगव्यत्ती ति०' योगनिवृत्ति तीन प्रकार की कही गई है जो इस प्रकार से - 'मणजोगनिव्वती० ' मनोयोगनिरृत्ति, वचनयोगनिवृत्ति और काययोगनिर्वृत्ति यह योगनिवृत्ति नारक से लेकर वैमानिक तक के समस्त संसारी जीवों को होती है किसी जीव को केवल काययोगनिवृत्ति होती है। किसी जीव को काय और चचन योगनिवृत्ति होती है और किसी जीव को इन तीनों निर्वृत्तियां होती हैं अतः जिस जीव को जो २ योग होते हैं उस जीव को उस २ योग की निर्वृत्ति कह लेनी चाहिये १८ हे भदन्त ! 'कहविहा उपभोगनिव्वती' उपयोगनिवृत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? तो इसके उत्तर में प्रभु ने ऐसा कहा है कि हे गौतम! 'उवओगनिवत्ती दुबिहा' उपयोगनिवृत्ति दो प्रकार की कही गई है वे उससे दो प्रकार साकारोपयोग और निराकाररोपअलु आहे हे गौतम! जोगणिव्वत्ती तिविहा' योगनिवृत्ति त्रय अहारनी उही छे मे मा अमा छे. 'मणजोण निव्वत्ती ० ' मनोयोग निर्वृत्ति,
વચનચેાગનિવૃત્તિ, અને કાયયેાયનિવૃત્તિ આ ચેાગનિવૃત્તિ નારકોથી લઈને વૈમાનિક સુધીના સઘળા સસારી જીવાને હોય છે. કોઈ જીવને કેવળ કાયયેાગ નિવૃત્તિ હોય છે કોઇ જીવને કાય અને વચન ચાગ નિવૃત્તિ હોય છે અને કોઇ જીવને એ ત્રણે નિવૃત્તિ હોય છે. જેથી જે જીવને જે જે ચૈાગ હોય છે. તે જીવને તે ચેાગની નિવૃત્તિ સમજી લેવી. ૧૮, હવે ગૌતમ સ્વામી ઉપયોગ નિવૃત્તિના સમધમાં પ્રભુને પૂછે છે કે— 'कइविहा उत्र भोगनिवत्ती ० ' ३ लगवन् उपयोग निर्वृत्ति डेंटला अारनी वामां भावी छे ? आ प्रश्न उत्तरमा अलुछे - गौतम! 'उव