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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०२० उ०५ सू० ३ पञ्चनदे शिकस्कन्धनिरूपणम् कालश्च नीलश्च लोहितश्च शुक्लश्चेति कालनीललोहितशुक्लैरपि भङ्गा भवन्ति 'एत्थ वि पंचभंगा' अत्रापि पञ्चभङ्गाः अत्रापि कालनीललोहित शुक्लेष्वपि पञ्चभङ्गा भवन्ति, तथाहि - सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्लए य१, सिय कालए य नीलए लोहियए य सुकिल्लगा य२, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य सुकिल्लएय३, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य सुकिल्लए य४, सिय कालगा य नील
भंग होते हैं उन्हें प्रकट किया जाता है 'सिप फालए य नीलए य लोहिय व सुकिल्ले व ' कदाचित् वह एक प्रदेश में कालेवर्णवाला हो सकता है किसी एक प्रदेश में नीलेवर्णवाला हो सकता है किसी एक प्रदेश में लालवर्ण वाला हो सकता है और किसी एक प्रदेश में शुक्लवर्ण वाला हो सकता है १ अथवा 'सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्ला २ लिय कालए य नीलए य लोहिया य सुकिल्ले य ३ सिय कालए य नीलगा य लोहियए य सुक्किल्ले य ४ सिय कालगा प नीलए य लोहियए य सुक्किल्लए य ५' वह किसी एक प्रदेश में कृष्णवर्ण वाला किसी एक प्रदेश में नीलवर्ण वाला किसी एक प्रदेश में लोहितवर्णवाला और अनेक प्रदेशों में शुक्लवर्णवाला भी हो सकता है २ अथवा किसी एक प्रदेश में वह कृष्णवर्ण वाला किसी एक प्रदेश arraf वाला अनेक प्रदेशों में लोहितवर्ण वाला और एक प्रदेश में शुक्लवर्ण वाला भी हो सकता है ३ अथवा वह एक प्रदेश में कृष्णवर्ण वाला अनेक प्रदेशों में नीले वर्ण वाला एक प्रदेश में लोहितवर्ण
ચ’કદાચ તે પેાતાના એક પ્રદેશમાં કાળાવણુ વાળા હાય છે કોઈ એક, પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળા હાય છે. કેાઈ એક પ્રદેશમાં લાલવણુ વાળા હાય છે. તથા કાઈએક अहेशभां सहवाणु वाणी होय छे. या पहेलो मंग छे. 'सिय कालए य नीलए य लोहिय पय सुकिल्लगार' ते पोताना अर्थ मे प्रदेशमां अजाववाणी मे પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળા કાષ્ઠ એક પ્રદેશમાં લાલવણુ વાળા તથા અનેક પ્રદેશેામાં श्वेतवा वाणी होय छे, या जीले लग छे. २ 'खिय कालए य नीलए य लोहिया य सुकिल्ले य३' अथवा ते पोताना अर्ध ४ प्रदेशेभां आणावयेવાળા હાય છે કોઈ એક પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળો હોય છે. અનેક પ્રદેશેશમાં લાલવણુ વાળો ડ્રાય છે તથા કેાઈ એક પ્રદેશમાં સફેદવવાળો હોય છે. આ श्रीले लौंग छे.उ 'खिय कालए य' नीलगाय लोहियए य सुक्किल्ले य४' अथवा ते પેાતાના કોઈ એક પ્રદેશમાં કાળાત્રણ વાળો હાય છે અનેક પ્રદેશમાં નીલવણુ વાળો